November 18, 2024

सर्वे में खुलासा- पति से ज्यादा कमाई करने में बिहार की महिलाएं कई राज्यों से आगे

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मुजफ्फरपुर

पति से अधिक कमाई करने के मामले में बिहार की महिलाएं दिल्ली, झारखंड, ओड़िशा समेत कई राज्यों से आगे हैं। सूबे में 45.6 फीसदी महिलाएं पति से ज्यादा कमाई करती हैं। वहीं झारखंड में यह आंकड़ा 40, ओडिशा में 33.6 और दिल्ली में 33.3 फीसदी है। अपने और पति के पैसे खर्च करने का फैसला लेने में भी बिहारी महिलाएं आगे हैं। घर के बजट से लेकर रिश्तेदरों और पढ़ाई पर इन पैसों को कैसे खर्च करना है, यह निर्णय 91.3 फीसदी बिहारी महिलाएं लेती हैं। इन सभी फैसलों में महिलाएं पति का सहयोग जरूर लेती हैं।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक कमाई और घर के बजट से लेकर बिहार की महिलाएं शादीशुदा जीवन में भी निर्णय लेने में आगे हैं। सूबे में अपनी कमाई के निर्णय में 91.3 फीसदी तो पति की कमाई को कैसे खर्च करना है, इसके निर्णय में 79.5 आगे हैं। मध्य प्रदेश में 43.0 फीसदी महिलाएं कमाई में पति से आगे हैं, वहीं यहां की 85 फीसदी महिलाएं अपनी कमाई और 74.3 फीसदी महिलाएं पति की कमाई के खर्च का निर्णय पति के साथ मिलकर लेती हैं। उत्तर प्रदेश में 40.9 फीसदी महिलाएं कमाई में आगे हैं, जबकि यहां की 85.6 फीसदी महिलाएं ही खर्च का निर्णय ले पाती हैं। असम में 39.6 फीसदी, मणिपुर में 44, सिक्किम में 26.4, उत्तराखंड में 31.5 फीसदी, राजस्थान में 37.8 फीसदी, पंजाब में 39.7 फीसदी महिलाएं कमाई में आगे हैं।

बिहारी महिलाओं में मर्जी से जीने की आजादी अधिक

बिहार की महिलाएं अपने शादीशुदा जीवन में भी ना कहने की हिम्मत और मर्जी से जीने की आजादी में अन्य राज्यों से आगे हैं। रिपोर्ट के अनुसार सूबे में 81.7 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जो शादीशुदा जीवन को लेकर निर्णय लेती हैं और पति को ना कहने की हिम्मत रखती हैं। पंजाब में 73.2, राजस्थान में 79.2, अरुणाचल प्रदेश में 63.3, असम में 77.3, आंध्रप्रदेश में 79.3, कर्नाटक में 81.4, प.बंगाल में 79.5 फीसदी यह आंकड़ा है। खास यह कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के आंकड़ों के बीच बहुत कम अंतर है। ग्रामीण क्षेत्र में जहां 81.4 फीसदी महिलाएं निर्णय लेती हैं वहीं शहरी क्षेत्र में यह आंकड़ा 84.8 का है।

इस रिपोर्ट के अनुसार निर्णय लेने वाली महिलाओं के शिक्षा का स्तर पर भी देखा गया। इसके तहत शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ी है। मनोवैज्ञानिक डॉ. निर्मला सिंह कहती हैं कि शिक्षा ने महिलाओं के जीने में ही नहीं, उनके निर्णय लेने में भी अहम भूमिका निभाई है।

 

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