कहीं चुनाव तो कहीं इकाई, राजस्थान से अरुणाचल तक 13 राज भवनों में क्यों हुई उथल-पुथल; फेरबदल के मायने?
नई दिल्ली
भारत के 13 राज्यों में राज्यपाल बदले गए। इनमें 6 नए नाम शामिल किए गए हैं। वहीं, 7 प्रदेशों में फेरबदल हुए हैं। इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। अब सवाल है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से रविवार को राज भवनों में किए गए इतने बड़े बदलावों के मायने क्या हैं। कहा जा रहा है कि नए नामों की एंट्री और दिग्गजों को नए स्थानों पर भेजने की सियासी रणनीति काफी लंबी है।
चुनाव से इकाई तक कई हो सकती हैं वजहें
कहा जा रहा है कि इस फेरबदल के जरिए भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेताओं को जगह देने की कोशिश की है। इनमें 75 साल से ज्यादा के दिग्गज शामिल हैं। इसके अलावा पार्टी इनके जरिए प्रदेश इकाइयों के सत्ता संघर्ष से भी निपटने की कोशिश कर सकती है। माना जा रहा है कि सरकार ने कई अनुभवी नामों को पूर्वोत्तर की ओर भेजा है। इस साल मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव होने हैं। राष्ट्रपति ने राज्यसभा में भाजपा के चीफ व्हिप शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया है। कहा जाता है कि शुक्ला भाजपा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बड़े आलोचकों में से एक थे।
हालात दुरुस्त करने की कोशिश
78 वर्षीय गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है। इसके जरिए पार्टी ने एक ओर जहां चुनाव से कुछ महीनों पहले ही राजस्थान से उनकी जगह बदली, वहीं पूर्वोत्तर राज्य में भी अनुभवी चेहरा बढ़ा। तमिलनाडु में सीपी राधाकृष्णन की विदाई को भाजपा के प्रदेश प्रमुख के अन्नामलाई से जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि राधाकृष्णन राज्य में अन्नामलाई के काम करने के आक्रामक तरीकों और 'उप-क्षेत्रीय' राष्ट्रवाद से सहज नहीं थे। वहीं, उन्हें यह भी शंका थी कि अन्नामलाई की नजरें 2024 लोकसभा चुनाव में कोयंबटूर सीट पर थी। राधाकृष्णन इस सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कटारिया और राधाकृष्णन की जगहों में बदलाव से भाजपा की प्रदेश इकाइयों पर दबाव कम होगा।
राजस्थान में बड़ा गेम
साल 2023 के अंत में राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। अब भाजपा भी चुनाव से पहले राज्य में जारी आंतरिक कलह को दूर करने की कोशिश में है। कटारिया को असम भेजने के फैसले को भी भाजपा के आंतरिक संकट को दूर करने की कोशिश माना जा रहा है। राजस्थान में कटारियां को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ तैयार खेमे का केंद्र कहा जाता रहा है।
इधर, भाजपा ने हाल ही में राजे के खेमे से घनश्याम तिवारी का कद बढ़ाकर राज्यसभा तक पहुंचाया है। अब पूर्व सीएम को इस बार प्रदेश के शीर्ष पद की दावेदारी के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत और प्रदेश प्रमुख सतीश पूनिया के पसंद के नेताओं से आगे निकलना होगा।
यहां थोड़ी अलग है कहानी
महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी राज्यपाल बदले गए हैं। एक ओर जहां भगत सिंह कोश्यारी की जगह झारखंड के राज्यपाल रहे रमेश बैस लेंगे। वहीं, अनुसुइया उइके अब मणिपुर की ओर रवाना होंगी। खास बात है कि उइके को नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस यानी NDA की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार माना जा रहा था। हाल ही में बयानबाजी के चलते कोश्यारी महाराष्ट्र में घिरते नजर आए थे। वहीं, छत्तीसगढ़ भाजपा भी उइके के सहयोगी नहीं होने की बातें कह रही थी। इधर, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस सीएम हेमंत सोरेन सरकार से खींचतान का सामना कर रहे थे।
ये हुए बदलाव
एजेंसी के अनुसार, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुइया उइके को मणिपुर का दायित्व सौंपा गया है और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बी बी हरिचरण को उनकी जगह पर नियुक्त किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिवक्रिम परनाइक को अरुणाचल प्रदेश , लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम, सीपी राधाकृष्णन को झारखंड, शिवप्रताप शुक्ला को हिमाचल प्रदेश, गुलाब चंद्र कटारिया को असम और जस्टिस (सेवानिवृत) एस अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। एल गणेशन (मणिपुर) को नगालैंड, फागू चौहान (बिहार) को मेघालय, राजेंद्र वश्विनाथ अर्लेकर (हिमाचल प्रदेश) को बिहार, रमेश बैस (झारखंड) को महाराष्ट्र ,ब्रिगेडियर बी डी मिश्रा (अरुणाचल प्रदेश) को लद्दाख के राज्यपाल बनाया गया है।