खजाना अपार, चुनौतियां हजार, अब आतंकियों की भी नजर; कहानी J&K वाले लिथियम की
नई दिल्ली
एनर्जी स्टोरेज टेक्नोलॉजी का 'व्हाइट गोल्ड' कहे जाने वाले लिथियम का खजाना भारत के हाथ लगा है। हाल ही में सरकार ने घोषणा की थी कि जम्मू और कश्मीर के सलाल-हैमाना में अनुमानित 59 लाख टन के संसाधन मिले हैं। दरअसल, भारत बड़े स्तर पर लिथियम के लिए आयात पर निर्भर रहता था। ऐसे में इस ऐलान ने आत्मनिर्भर बनने में नई उम्मीद दी है। हालांकि, इसमें कई चुनौतियां भी हैं।
अनुमानित क्यों?
कहा जाता है कि अब तक लिथियम की मात्रा अनुमानित है। अगर असल मात्रा की जानकारी हासिल कर भी ली जाती है, तो इसे निकालना भी अपने आप में बड़ा काम होगा। सरकार यहां शब्द 'Inferred' का इस्तेमाल कर रही है। आसान भाषा में समझें, तो इसका मतलब है कि मिनरल की मात्रा का अनुमान जियोलॉजिकल एविडेंस यानी सबूत के आधार पर लगाता जाता है, लेकिन फिर भी इसे वेरिफाई करना जरूरी होता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में जियोलॉजी के प्रोफेसर शशांक शेखर बताते हैं, 'फिलहाल यह एक इनफर्ड रिसोर्स है। इसपर काम किए जाने की जरूत है, जहां इसे निकालने के तरीके पर फैसला लिया जाएगा। यह अच्छी खोज है, लेकिन यह कहां ले जाएगी, हम खुदाई कर सकते हैं या नहीं। इसे लेकर हम अभी बहुत आश्वस्त नहीं हैं।'
अभी लंबा है रास्ता
इस संसाधन को G3 माना गया है। यूएन फ्रेमवर्क क्लासिफिकेशन यानी UNFC के अनुसार, चार चरणों में G3 दूसरे नंबर की प्रक्रिया है। ऐसे में काफी कुछ G2 और G1 पर निर्भर करता है।
निकालने में चुनौतियां
दुनियाभर में लिथियम निकालने में दो बड़े तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें वाष्पीकरण और मजबूत पत्थरों को तोड़ना शामिल है। खास बात है कि दुनिया इस्तेमाल की हुई लिथियम आयन बैटरी को रिसाइकल करने पर भी विचार कर रही है वाष्पीकरण लंबी प्रक्रिया है, लेकिन दुनियाभर में पत्थर तोड़ने से ज्यादा इसका इस्तेमाल किया जाता है। शेखर कहते हैं, 'सबकुछ इसपर निर्भर करता है कि आप किस तकनीक का उपयोग करते हैं। मुझे लगता है कि एहतियात के साथ अगर यह पर्यावरण के नजरिए से ठीक है, तो नतीजे अच्छे संकेत हैं।' हालांकि, उन्होंने कहा, 'यह जंगल का इलाका है, तो खुदाई में मुश्किल हो सकती है।'
आतंकियों की नजर
खबर है कि सोमवार को एंटी फासिस्ट फ्रंट ने लिथियम रिजर्व को लेकर एक धमकी जारी की है। समूह का कहना है कि किसी भी हालात में जम्मू और कश्मीर के संसाधनों की चोरी नहीं होने देंगे। समूह ने कहा, 'ये संसाधन लोगों के हैं और इनका इस्तेमाल जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए होने चाहिए और ऐसा ही होगा।' संगठन ने भारतीय कंपनियों को भी धमकी दे दी है।