वसुंधरा राजे बनाम सतीश पूनिया, BJP ने खेला ये दांव, सतीश पूनिया को मिल गई ऑक्सीजन?
जयपुर
राजस्थान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया 16 फरवरी को मुख्यमंत्री के रिप्लाई से पहले विधानसभा में विपक्ष की बात को रखेंगे। कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है, ऐसे में वो अब विधानसभा में नहीं बोलेंगे। अभी तक नया नेता प्रतिपक्ष भी तय नहीं हुआ है। इसलिए पार्टी ने सतीश पूनिया को ही विपक्ष की तरफ से सवाल उठाने के लिए अधिकृत किया है। विपक्ष के नेता को सीएम फेस के तौर पर माना जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी देर सवेर सतीश पूनिया को विपक्ष का नेता मनोनीत कर सकती है। उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी विपक्ष के नेता की रेस में शामिल है। लेकिन फिलहाल राठौड़ पिछड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। सतीश पूनिया से जब नेता प्रतिपक्ष से संबंधित सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वह हमेशा पार्टी की हर जिम्मेदरारी निभाते रहे हैं।अभी सब काल्पनिक बातें है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे की अनदेखी कर पूनिया को तवज्जो देना पार्टी के लिए भारी पड़ सकता है। वसुंधरा राजे राजस्थान की सभी वर्गों में स्वीकार्य नेता है। वसुंधरा के कद के सामने पूनिया कहीं नहीं टिकते हैं।
16 को कटारिया की विदाई पर डिनर
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का विदाई समारोह 16 फरवरी को होगा। विधानसभा में उनकी विदाई पर डिनर दिया जाएगा, जिसमें सभी विधायकों के शामिल होने की संभावना है। कटारिया वर्तमान सदन के सबसे पुराने नेताओं में से एक हैं। विपक्ष के साथ ही सत्तापक्ष भी उनका पूरा सम्मान करता है। राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत का कमल खिलाने के लिए बीजेपी ने नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। कटारिया को असम का राज्यपाल बनाकर पार्टी आलाकमान ने साफ संकेत दिया है कि नई पीढ़ी को नेतृत्व करने के लिए आगे किया जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि 70 प्लस नेताओं के टिकट खतरे में पड़ सकते हैं।
आलाकमान चाहता है कि गुटबाजी पर लगे लगाम
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पार्टी आलाकमान राजस्थान में सत्ता वापसी के लिए चाहता है कि वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया के बीच जारी खींचतान कम हो। दोनों गुट के बीच चल रही खींचतान को खत्म किया जाए। चर्चा है कि इसके लिए आलाकमान ने कुछ वरिष्ठ नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंपी है। ये नेता राजस्थान आकर राजे और और पूनिया के बीच समन्वय स्थापित करेंगे। इस फैसले के बाद कई बड़े और कड़े फैसले भी हो सकते हैं। राजस्थान में वर्ष 2023 के अंत में होने है। सीएम गहलोत कांग्रेस सरकार रिपीट होने का दांवा कर रहे हैं। सीएम गहलोत का कहना है कि उनकी सरकार की सत्ता में वापसी होगी। इससे उलट सतीश पूनिया का कहना है कि बीजेपी सत्ता में वापसी करेगी। क्योंकि लोग कांग्रेस की सरकार से तंग आ चुके हैं। इन दावों के बीच राजस्थान बीजेपी में अंदरूनी खींचतान जारी है। वसुंधरा और पूनिया कैंप के नेता एक जाजम में दिखाई नहीं दे रहे हैं।