अमेरिका प्रीडेटर ड्रोन में स्वदेशी चीजें चाहे भारत, नौसेना ने रख दी 60% की मांग
नई दिल्ली
अमेरिकी ड्रोन में भारत स्वदेशी चीजों को भी शामिल करना चाहता है। खबर है कि मंगलवार को भारतीय नौसेना ने कहा है कि वे इन प्रीडेटर ड्रोन्स में 60 फीसदी भारतीय सामग्री चाहते हैं। कहा जा रहा है कि अमेरिका के साथ होने वाली इस मेगा डील में भारत को करीब 6 बिलियन डॉलर में 30 ड्रोन मिलेंगे। इस पूरी डील की समीक्षा के लिए लेफ्टिनेंट जनरल के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने कहा, 'हम अभी भी उस 'एक्वायर प्रीडेटर ड्रोन्स' प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। हम देख रहे हैं कि इसे कैसे स्वदेशी बनाया जा सकता है और भारत में क्या सुविधाएं तैयार की जा सकती हैं। ये क्षमताएं हैं, जिनकी हमें जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'हम हमारे देश की कंपनियों और डीआरडीओ के साथ काम कर रहे हैं। हम 60 प्रतिशत मेक इन इंडिया कंटेट चाहते हैं।'
शुरुआती योजनाओं के अनुसार, भारत मजबूत क्षमताओं से वाले 30 प्रीडेटर हाई एल्टिट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंसस ड्रोन्स खरीदने की योजना बना रहा था। खास बात है कि इन सभी ड्रोन्स को बराबर संख्या में सेना की तीनों सेवाओं में बांटा जाना है। फिलहाल, भारत दो प्रीडेटर ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रहा है, जो अमेरिका से लीज पर लिए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से फोन पर बातचीत की और कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की गहरी इच्छा व्यक्त की। दोनों नेताओं ने एअर इंडिया और बोइंग के बीच ऐतिहासिक समझौते की सराहना की, जो दोनों देशों में रोजगार के नए अवसर पैदा करने में मदद करेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय 'व्हाइट हाउस' की एक घोषणा के अनुसार, बोइंग और एअर इंडिया एक समझौते पर पहुंचे हैं, जिसके तहत एअर इंडिया बोइंग से 34 अरब डॉलर में 220 विमान खरीदेगी। इनमें 190 बी737 मैक्स 20 बी787, और 10 बी777एक्स शामिल हैं। समझौते के तहत 70 और विमान खरीदने का विकल्प होगा जिससे कुल लेन-देन मूल्य 45.9 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।