आतंक पर NIAका एक्शन, 60 से अधिक स्थानों पर छापेमारी
कोयम्बटूर
नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है. जांच एजेंसी ने केरल में एक साथ PFI के 56 ठिकानों पर छापेमारी की है. इनमें PFI के कई मेंबर्स के घर भी शामिल हैं. तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पठानमथिट्टा, एर्नाकुलम, अलप्पुझा और मलप्पुरम जिलों में छापे मारे गए हैं.
सूत्रों के मुताबिक NIA की आज की कार्रवाई के कई आधार हैं. दरअसल, गृह मंत्रालय (MHA)से प्रतिबंधित होने के बाद PFI अन्य अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन से संपर्क में था, जिसके जरिए फंड जुटाने की कोशिश की जा रही थी.
जांच एजेंसियों के मुताबिक किसी दूसरे नाम पर पीएफआई को फिर से खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. आज की कार्रवाई उन लोगों के खिलाफ है, जो PFI मेम्बर हैं. इसके साथ ही कुछ PFI के ओवरग्राउंड वर्कर हैं. यानी की अधिकारिक रूप से उस संगठन में शामिल नहीं हैं, लेकिन काम PFI के लिए कर रहे हैं.
एक महीने पहले ही कर्नाटक हाईकोर्ट ने PFI पर लगे प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की थी. दरअसल, तिहाड़ जेल में बंद पीएफआई की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष नासिर पाशा ने 27 अक्टूबर को यह याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने 28 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सिंगल बेंच के जस्टिस नागप्रसन्ना ने 30 नवंबर को फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी.
सरकार ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ लिंक होने का आरोप लगाते हुए पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों को 28 सितंबर को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. संगठन के कई कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. इसके बाद से ही जांच एजेंसी इससे जुड़े लोगों पर लगातार शिकंजा कसने का काम कर रही है.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था. इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए. PFI खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है. PFI में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी संगठन नहीं देता है.
एनआईए का मानना है कि देश में इस्लामिक स्टेट से जुड़े संदिग्ध लोग हैं जो युवाओं को आतंकी गतिविधियों में लिप्त कर रहे हैं।
बता दें, कोयंबटूर में पिछले साल अक्टूबर ब्लास्ट हुआ था, जिसमें जमीजा मुबीन की मौत हो गई थी। मुबीन से 2019 में कथित आईएसआईएस लिंक को लेकर एनआईए ने पूछताछ की थी।
पुलिस की जांच के मुताबिक, मुबीन दो खुले सिलेंडरों के साथ कार चला रहा था और उनमें से एक में विस्फोट हो गया। बाद में उसके घर की तलाशी में भी 'कम तीव्रता वाली विस्फोटक सामग्री' बरामद हुई थी।
तमिलनाडु के पुलिस प्रमुख सी सिलेंद्र बाबू ने कहा था कि यह आतंकी साजिश है और संदिग्ध आगे बड़ी वारदात को अंजाम देने की प्लानिंग में जुटे थे। इसके बाद मामला एनआईए को सौंप दिया गया था।
'इस्लामिक रेजिस्टेंस काउंसिल' नाम के समूह ने ऑटो रिक्शा विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। एनआईए को पता चला कि संदिग्ध ने मैंगलोर में भगवा आतंकवादियों के गढ़ कादरी में हिंदुत्व मंदिर पर हमला करने का प्रयास किया था।