November 17, 2024

निचोड़-निचोड़ कर पैसा जुटा रहा पाकिस्तान, पर बेनजीर योजना में बढ़ाया 40 अरब का अनुदान; क्या है BISP प्रोग्राम?

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 नई दिल्ली

 भारी नकदी संकट झेल रहा पाकिस्तान जहां लोगों पर पेट्रोल, बिजली से लेकर जीएसटी बम गिरा रहा है और आमलोगों को निचोड़-निचोड़कर पैसे जुटा रहा है, वहीं एक प्रोग्राम ऐसा भी है, जिसका अनुदान 40 अरब रुपये बढ़ा रहा है।  पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने बुधवार को नेशनल असेंबली में मिनी बजट पेश करते हुए कहा कि बढ़ती महंगाई के प्रभाव से समाज के दबे-कुचले वर्गों को बचाने के लिए सरकार ने बेनजीर आय सहायता कार्यक्रम (BISP) के बजट में 40 अरब रुपये की वृद्धि का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा, "सरकार ने BISP बजट को 360 अरब रुपये से बढ़ाकर 400 अरब रुपये करने का प्रस्ताव किया है। ताकि BISP लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए 40 अरब रुपये अतिरिक्त धनराशि आवंटित की जा सके।"
 

क्या है बेनजीर आय सहायता कार्यक्रम (BISP):
BISP पाकिस्तान सरकार की एक केंद्रीय योजना है। इसके जरिए गरीबों को कैश ट्रांसफर किया जाता है। इसे एहसास प्रोग्राम पाकिस्तान के नाम से भी जाना जाता है। इस योजना को जुलाई 2008 में तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के निर्देश पर उनकी दिवंगत पत्नी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के नाम पर शुरू किया गया था। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम है जो समाज में गरीबी उन्मूलन में योगदान देता है। वर्ष 2021-22 के लिए एहसास/बीआईएसपी कार्यक्रम के लिए बजटीय आवंटन 250 अरब रुपये था, जिसे वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़ाकर 364 अरब रुपये कर दिया गया था। आर्थिक रूप से जर्जर पाकिस्तान ने इसे अब बढ़ाकर 400 अरब रुपये कर दिया है। यूनाइटेड किंगडम का अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग इस कार्यक्रम का सबसे बड़ा विदेशी समर्थक है।

योजना का लाभ और योग्यता:
इस योजना के लाभुकों को हर दो महीने पर 3000 रुपये यानी प्रति माह 1500 रुपये की नकद सहायता राशि दी जाती है। इसका मकसद गरीब परिवारों की खरीद शक्ति को बढ़ाना है। ताकि वो राशन की खरीद कर सकें। इस योजना का लाभ उन महिलाओं को मिलता है, जो परिवार की मुखिया हैं और विधवा या तलाकशुदा हों। इनके अलावा जो महिलाएं शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम हों, वे भी इस योजना का लाभ उठा सकती हैं। लाभुक परिवार के पास आईडी कार्ड होना चाहिए।

योजना की आलोचना:
पाकिस्तान समेत दुनियाभर में इस योजना की आलोचना भी खूब होती है क्योंकि जिस पाकिस्तान में 10,000 रुपये में एलपीजी गैस का एक सिलिंडर मिलता हो और जहां 33 फीसदी महंगाई दर हो, वहां 1500 रुपये से कोई गरीब कैसे एक महीने तक गुजारा कर सकता है। पाकिस्तान में आटे की कीमत ही 140 रुपये से 160 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। एक परिवार को 10 किलो आटा खरीदने में ही इससे ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में यह योजना  लाभुकों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। ऊपर से इस योजना में भ्रष्टाचार की शिकायत आम है।

 

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