November 17, 2024

खाद्य तेल आयात जनवरी में 33 प्रतिशत बढ़कर 16.61 लाख टन पर

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 नयी दिल्ली
भारत का खाद्य तेल आयात जनवरी में 33 प्रतिशत बढ़कर 16.61 लाख टन हो गया। यह सितंबर 2021 के बाद सबसे अधिक है। तेल संगठन साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने बताया कि इस वृद्धि का कारण सूरजमुखी तेल का अत्यधिक आयात होना है। जनवरी में वनस्पति तेलों (खाद्य और अखाद्य तेलों) का आयात 31 प्रतिशत बढ़कर 16,61,750 टन हो गया, जो पिछले साल इसी महीने में 12,70,728 टन था।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने एक बयान में कहा कि खाद्य तेल का आयात जनवरी में बढ़कर 16,61,750 टन हो गया – सितंबर 2021 के बाद दूसरी सबसे बड़ी मासिक मात्रा है जब 12,51,926 टन का आयात किया गया था। जबकि गैर-खाद्य तेल का आयात 18,802 टन से घटकर शून्य रह गया। तेल वर्ष 2022-23 (नवंबर-अक्टूबर) के पहले तीन महीनों के दौरान वनस्पति तेलों का कुल आयात पिछले वर्ष की समान अवधि के 36,71,161 टन की तुलना में 30 प्रतिशत बढ़कर 47,73,419 टन हो गया।

चालू तेल वर्ष के नवंबर 2022-जनवरी 2023 की अवधि के दौरान खाद्य तेल का आयात बढ़कर 47,46,290 टन हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 36,07,612 टन था, जबकि गैर-खाद्य तेलों का आयात 63,549 टन से घटकर 27,129 टन रह गया। एसईए ने कहा, ‘‘भारत का जनवरी का सूरजमुखी तेल आयात बढ़कर 4,61,000 टन हो गया, जो लगभग तिगुना औसत मासिक आयात है…।’’ पिछले साल अक्टूबर में समाप्त हुए 2021-22 तेल वर्ष में भारत का मासिक सूरजमुखी तेल आयात औसतन लगभग 1,61,000 टन रहा।

एसोसिएशन ने कहा, ‘‘सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल के आयात में वृद्धि भारत के पाम तेल के आयात को कम कर सकती है और पाम तेल की कीमतों पर दबाव डाल सकती है।’’ एसईए ने 2022-23 तेल वर्ष की पहली तिमाही में आरबीडी (रिफाइंड) पामोलिन के आयात में 6.30 लाख टन की तेज वृद्धि पर भी चिंता व्यक्त की, जो कुल पाम तेल आयात का लगभग 20 प्रतिशत है और घरेलू रिफाइनरियों को प्रभावित करता है। एसोसिएशन ने कहा, ‘‘आरबीडी पामोलिन के अत्यधिक आयात और महज पैकर्स में तब्दील होने के कारण भारत का पाम रिफाइनिंग उद्योग बहुत कम क्षमता उपयोग से जूझ रहा है।’’

एसोसिएशन ने मांग की कि सीपीओ के शुल्क में बगैर कोई बदलाव किये आरबीडी पामोलिन शुल्क को मौजूदा 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करते हुए सीपीओ (कच्चा पामतेल) और रिफाइंड पामोलिन/पाम तेल के बीच शुल्क अंतर को मौजूदा 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 15 प्रतिशत करने की आवश्यकता है। उसने कहा कि आरबीडी पामोलिन शुल्क को मौजूदा 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जाना चाहिए।

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