स्कूलों में पढ़ाए बिना गुजराती भाषा को कैसे संरक्षित करेगी सरकार? हाईकोर्ट ने पूछा सवाल
गुजरात
गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूछा कि राज्य सरकार स्कूलों में पढ़ाए बिना मातृभाषा गुजराती को कैसे संरक्षित रखेगी। अदालत ने कहा कि यह देखा जाता है कि संस्कृति काफी हद तक भाषा से जुड़ी होती है। नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश सोनिया गोकानी ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि नियामक ढांचे के अभाव में स्कूलों में गुजराती भाषा की पढ़ाई सुनिश्चित करने का प्रयास 'व्यर्थ' है। सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह छात्रों के बीच गुजराती भाषा को बढ़ावा देने की नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित करेगी। सरकार ने यह भी कहा कि राज्य के स्कूलों को आवश्यकता के बारे में अवगत कराया जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश गोकानी ने कहा, ''अगर आप इस पर गौर करें तो यह एक प्रमुख मुद्दा है। यह (गुजराती) भी हमारे संविधान की भाषाओं में से एक है। आप इसे स्कूलों में पढ़ाए बिना कैसे संरक्षित करने जा रहे हैं? संस्कृति काफी हद तक भाषा से जुड़ी होती है।''
उन्होंने कक्षा एक से आठवीं तक के स्कूलों में अनिवार्य विषयों में से एक के रूप में गुजराती भाषा को पढ़ाने की सरकारी नीति को अनिवार्य रूप से लागू करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश गोकानी ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे कि अगले शैक्षणिक सत्र से स्कूल अपनी भाषा शिक्षण नीति का पालन करें।
सरकार ने अदालत के सामने 47 स्कूलों की एक सूची पेश की और कहा कि उनमें से 13 ने गुजराती को एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाना शुरू नहीं किया है, जैसा कि इसकी नीति के तहत आवश्यक है। मुख्य न्यायाधीश गोकानी ने गुजरात सरकार को अन्य राज्यों की तर्ज पर सोचने का सुझाव दिया, जो इसके लिए एक कानून लेकर आए हैं, क्योंकि एक बार कानून बन जाने के बाद, सभी को इसका पालन करना होगा।
जहां तक केंद्रीय विद्यालयों (केंद्रीय सरकारी स्कूलों) का संबंध है, अदालत को सूचित किया गया कि क्षेत्रीय भाषाओं को पढ़ाने के संबंध में उनके अपने नियम हैं। एक सरकारी वकील ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में गुजराती पढ़ाने के मुद्दे पर 21 फरवरी को सुनवाई की अगली तारीख तक राज्य के अधिकारियों से निर्देश प्राप्त किए जाएंगे।