कुबेरेश्वर धाम: इंदौर-भोपाल हाईवे पर यातायात सामान्य, वन वे और डायवर्शन से ट्रैफिक हुआ मैनेज
भोपाल
कुबेरेश्वर धाम में आज सुबह भी लगभग तीन लाख लोग मौजूद थे। इससे पहले आज सुबह पंडित प्रदीप मिश्रा ने रुद्राक्ष बांटने के कार्यक्रम को रोकने का ऐलान किया। हालांकि उनकी कथा का आयोजन दोपहर एक बजे से यथावत रहेगा। इसी बीच बाहर से आने वाले लोगों का क्रम जारी है। आज की भीड़ को मैनेज करने के लिए पुलिस के बल को और बढ़ाया गया है। वहीं इंदौर-भोपाल हाईवे पर यातायात पर नजर रखी जा रही है। फिलहाल हालात सामान्य हैं। जाम की स्थिति रात 12 बजे खत्म हो गई थी। इधर उज्जैन और पचमढ़ी में भी शिवरात्रि के मौके पर लाखों श्रद्धालु आज से ही जुट गए हैं।
अफसरे जुटे रात भर
गुरुवार को बेकाबू हुए कुबेरेश्वर धाम और उसके आसपास के हालात आज सामान्य करने के प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं। रात भर यहां पर पुलिस अफसर मौजूद रहे और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करवाने में जुटे रहे। प्रशासन की समझाइश पर रुद्राक्ष बांटने का कार्यक्रम फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। खबर लिखे जाने तक यहां की पांचों पार्किंग लगभग भरी हुई थी, रुद्राक्ष बांटने का कार्यक्रम बंद करने से अब यहां से लोगों के वापस जाने की संख्या भी तेजी से बढ़ी।
5 पंडाल में 75 हजार ही लोग आ रहे
कुबेरेश्वर धाम में कथा के लिए पांच पंडाल लगाए गए हैं। करीब तीन लाख वर्ग फीट में डोम लगे हुए हैं। इनमें करीब 75 हजार लोग आ सकते हैं। अब इसी संख्या के हिसाब से लोगों को अंदर जाने की व्यवस्था बनाई जा रही है। इसमें धाम के सेवादार और पंडित प्रदीप मिश्रा से प्रशासन के अफसरों ने बातचीत की है। कथा आज दोपहर एक बजे से शुरू हुई, जो शाम तक चलेगी। जब आज की कथा पूरी होगी, और लोग सड़कों पर आएंगे, उस वक्त जाम की स्थिति न बने इसे लेकर अभी से पुलिस बल जुट गया है।
खाने-पीने को नहीं मिलने से ज्यादा बिगड़े हालात
कुबेरेश्वर धाम पर जहां लाखों लोग पहुंचे, लेकिन यहां पर खाने और पीने के पानी की व्यवस्था लाखों लोगों के हिसाब से नहीं थी। धाम में करीब चालीस हजार लोगों के खाने की व्यवस्था की गई थी। वहीं पानी की व्यवस्था इसमें दो जगह पर नल लगाकर की गई थी। इस स्थान पर भी भीड़ बहुत हो गई थी। धाम के बाहर दुकानों पर पानी की जो बोतलें थी, वह जल्द ही बिक गई और नई बोतल दुकान तक लाने के लिए लोडिंग आॅटो को रास्ता नहीं मिला। इसलिए दिन भर पानी की बोतले भी नहीं आ सकी। अधिकांश दुकानों पर भी खाने और पीने की सामग्री खत्म हो गई थी। खाने और पीने के लिए पानी नहीं मिलने से यहां के हालात ज्यादा बिगड़े।
समय से पहले बढ़ी भीड़, पूरा बल तैनात ही नहीं हो सका
सूत्रों की मानी जाए तो पुलिस को यह अनुमान था कि दस लाख लोग गुरुवार को आ सकते हैं, इस हिसाब से सीहोर के अलावा आसपास के जिलों से पुलिस बल मांगा गया था, कुछ जिलों से पुलिस बल देरी से दिया गया। पुलिस जवानों को व्यवस्थाएं बनाने के लिए गुरुवार की सुबह से धाम और उसके आसपास तैनात करना था, लेकिन बुधवार की रात से ही रुद्राक्ष बांटने का क्रम शुरू होने से तेजी से भीड़ बढ़ती गई, जिससे पुलिस जवान अपने जगह तक पहुंच ही नहीं पाए। इसके चलते अव्यवस्थित रूप से लोगों ने अपने वाहन पार्क कर दिए। जिसे जहां से रास्ता मिला वो वहां से निकलने लगा। धक्का-मुक्की के चलते बैरिकेड टूट गए और देखते ही देखते हालात बेकाबू होने लगे। इंदौर-भोपाल रास्ता आठ घंटे से ज्यादा तक जाम रहा। हजारों वाहन इसमें फंस गए।
जिला प्रशासन ने टेक दिए थे घुटने
पंडित प्रदीप मिश्रा के इस आयोजन को लेकर जिला प्रशासन भले ही यह दावा करे कि उसने 5 से 6 लाख लोगों की व्यवस्था कर ली थी, लेकिन हकीकत इसके विपरित थी, प्रशासन ने अपनी व्यवस्थाएं इतने लोगों के हिसाब से की ही नहीं थी। यदि इतने की व्यवस्था की होती तो खाने और पीने के साथ ही रास्ते को खुला रखने के सबसे ज्यादा प्रयास पहले से किए जाते। जिला प्रशासन पूरी तरह से यहां पर पुलिस के भरोसे पर ही रहा। इसलिए लोगों के बेतरतीब तरीके से अपने वाहन खड़े करना शुरू कर दिए थे।