घर में श्रीयंत्र की स्थापना पर रखें इन 4 बातों का ख्याल
श्रीयंत्र माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. जिन घरों में श्रीयंत्र स्थापित होता है और उसकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है, वहां पर माता लक्ष्मी का वास होता है. उस परिवार में आर्थिक तंगी नहीं रहती है. वहां पर आय के स्रोत बढ़ते हैं, जिससे धन लाभ होता है. धन की आवक बनी रहती है. शुक्रवार या फिर प्रत्येक दिन श्रीयंत्र की पूजा और दर्शन करना चाहिए. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं श्रीयंत्र के महत्व और स्थापना से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
कब करें श्रीयंत्र की स्थापना
यदि आपको अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना करनी है तो आप शुक्रवार के दिन कर सकते हैं. इसके अलावा आप श्रीयंत्र की स्थापना अक्षय तृतीया, धनतेरस, दिवाली या फिर माता महालक्ष्मी के व्रत वाले दिन भी कर सकते हैं.
कैसे करें श्रीयंत्र स्थापित
श्रीयंत्र की स्थापना आप चाहें तो किसी योग्य पंडित से पूजन कराकर करें या फिर स्वयं श्रीयंत्र की पूजा के साथ करें. इसके लिए आप श्रीयंत्र की पूजा फूल, अक्षत्, रोली, चंदन, दीप आदि से कर लें. साथ ही माता लक्ष्मी की भी विधिपूर्वक पूजा करें.
कहां पर करें श्रीयंत्र की स्थापना
श्रीयंत्र की स्थापना आप पूजा घर, तिजोरी या फिर जहां पर आपका धन स्थान है, वहां पर इसकी स्थापना करा सकते हैं.
श्रीयंत्र की करें प्रतिदिन पूजा
श्रीयंत्र की स्थापना के बाद उसका पूजन हर दिन करना चाहिए. श्रीयंत्र की पूजा करने और उसका दर्शन करने से कई प्रकार के अशुभ योग खत्म हो जाते हैं, दुर्भाग्य भी दूर हो जाता है.
श्रीयंत्र का महत्व
1. श्रीयंत्र की पूजा करने से धन, वैभव, सुख, समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है.
2. श्रीयंत्र और माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन की कमी नहीं रहती है. धन का प्रवाह बना रहता है.
3. श्रीयंत्र पर माता लक्ष्मी की कृपा होता है, जिससे अष्टलक्ष्मी की प्राप्ति होती है. इससे आपको कार्यों में सफलता, ज्ञान, शक्ति आदि प्राप्त होता है.
4. शुक्रवार के दिन श्री यंत्र की पूजा के बाद महालक्ष्मी मंत्र ओम श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा. का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए. इससे आपकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
5. श्रीयंत्र की पूजा के साथ ओम श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्ष्मी नमः मंत्र का जाप कमलगट्टे की माला से करें. यह मंत्र भी सुख और समृद्धि को बढ़ाने वाला है.