आटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली- नए दौर का आगाज व समयबद्धता के लिए वरदान
बिलासपुर
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे निरंतर ही आधुनिक एवं सुविधायुक्त तकनीकी का उपयोग कर यात्री गाडि?ों की समयबद्धता तथा अधिक से अधिक ट्रैफिक के लिए प्रयासरत है। आधुनिक एवं उन्नत तकनीक के अंतर्गत गाड़ी परिचालन में संरक्षा को और बेहतर बनाने के साथ ही लाइन क्षमता में बढ़ोत्तरी तथा गाडि?ों की गतिशील परिचालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सिग्नलिंग सिस्टम को अपग्रेड कर आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में परिवर्तित किया जा रहा है। आॅटो सिग्नलिंग व्यवस्था बिना किसी अतिरिक्त स्टेशनों के निर्माण और रखरखाव के साथ ही ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने व प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रेफिक को नियंत्रित करने में मदद करता है।
इसी संदर्भ में बिलासपुर मंडल के चांपा-मड़वारानी स्टेशनों के मध्य आॅटोमेटिक सिग्नलिंग का कार्य किया जा रहा है।इस नई व्यवस्था के तहत स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे प्रत्येक किलोमीटर पर सिग्नल लगाए गए हैं जिसके लिए नॉन इंटरकनेक्टिविटी का कार्य करते हुये आॅटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली में परिवर्तित किया जा रहा है। अभिनव तरीके से संपादित किए जाने वाले इस नॉन इंटरकनेक्टिविटी कार्य की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें किसी भी यात्री ट्रेन को कैंसिल, रेगुलेशन, रिशिड्यूलिंग, शॉर्ट टर्मिनेटिंग अथवा डाइवर्जिंग नही किया जा रहा है। जिससे यात्रियों को भी परेशानी नहीं होगी।
तीव्र गति से करते हुये इस चांपा-मड़वारानी स्टेशनों के मध्य आटोमेटिक सिग्नलिंग के सम्पूर्ण कार्य को अगले 1-2 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। इस कार्य के पूरा होते ही इस सेक्शन में गाडि?ों की समयबद्धता व परिचालन गतिशीलता भी बढ़ जाएगी। आॅटोमेटिक सिग्नल प्रणाली से रेल लाइनों पर ट्रेनों की समयबद्धता में सुधार के साथ ही लाइन क्षमता बढ़ेगी तथा बेहतर संरक्षा सुनिश्चित होगी। वहीं कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा। यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आॅटो सिग्नल की स्थिति के सहारे एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी जो कि समयबद्धता के लिए वरदान साबित होगी। इस सिस्टम की खास बात यह है कि यदि आगे वाली सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाती है। इस प्रकार बेहतर सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।