जीवन में सफलता पाने के लिए आशावादी बनें : दीक्षा दीदी
रायपुर
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा ग्रीन विलेज प्रोफेशनल ट्रेनिंग सेन्टर सारागांव में आत्म जागृति (सेल्फ अवेयरनेस) विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम में कोच कु. लक्ष्मी यादव के साथ ब्रह्माकुमारी दीक्षा दीदी, ब्रह्माकुमारी स्मृति दीदी और समाजसेविका श्रीमती रेणु पाल उपस्थित थीं।
व्याख्यान की शुरूआत करते हुए ब्रह्माकुमारी दीक्षा दीदी ने कहा कि जीवन में तरक्की करने के लिए हमें आशावादी बनना होगा। आशावादी होने से जीवन में प्रेम, शान्ति और विश्वास जैसे गुण स्वत: आ जाते हैं। उन्होंने बतलाया कि आशावादी लोग ज्यादा समय तक जीवित रहते है क्योंकि वह तनावमुक्त रहते हैं। जो होगा वह देखा जाएगा। परिस्थितियों से घबराकर निराश नही होना चाहिए। आशावादी होना बहुत अच्छा गुण माना जाता है। परिस्थितियाँ हमारे वश में नहीं हैं वह तो आएंगी ही लेकिन हमें नकारात्मक विचारों से बचना है। उन्होंने कहा कि रोज सुबह उठकर दस मिनट आत्म निरीक्षण के लिए निकालें। स्वयं से बातें करें। देखें कि जो विचार मन में आ रहे हैं क्या वह मेरे लिए लाभप्रद हैं? क्या वह हमारे व्यक्तित्व का विकास करने में मददगार सिद्घ होंगे? इसके साथ ही हरेक परिस्थिति के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखें। यह तभी सम्भव होगा जब हमारी आन्तरिक शक्ति मजबूत होगी। वर्तमान समय हम सभी बाहरी चीजों को पाने के लिए भाग रहे हैं। लेकिन आन्तरिक शक्ति को बढ़ाने पर हमारा ध्यान बिल्कुल भी नहीं है। आन्तरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए राजयोग मेडिटेशन करें। उन्होंने कहा कि व्यर्थ और नकारात्मक विचारों को मन में जगह देकर अपने मन को कूड़ाघर न बनने दें। बीती बातों का चिन्तन न करें। रोज सुबह एक नई सोच के साथ अपने व्यक्तित्व की परिकल्पना करें।
ब्रह्माकुमारी स्मृति दीदी ने कहा कि हमें अपना लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए। कुछ लोग अपने लक्ष्य को बदलते रहते हैं। महान लोगों के जीवन को देखें तो आप पाएंगे के हरेक के जीवन में असफलता आई लेकिन वह लोग निराश नहीं हुए बल्कि निरन्तर प्रयत्नशील रहे। अपने आत्मविश्वास को कभी डिगने न दें। जो भी कार्य कर रहे हैं उसे पूरी रूचि के साथ करें। जिस कार्य से डर लगता है उसे करके देखो तो इससे आत्म विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि ईश्वर को अपना साथी बनाकर देखो। वह हर परिस्थिति में हमारा साथी बनने के लिए तैयार हैं। हम कमजोर न बनें। चाहे कैसी भी समस्या आए हम उसका सामना करने के लिए तैयार रहें। कभी स्वयं को अकेले न समझें बल्कि यह समझें कि हमारे साथ भगवान है। सफलता पाने के लिए चरित्र को श्रेष्ठ बनाने पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है। अन्त में उन्होंने सभी को राजयोग मेडिटेशन का अनुभव कराया।