November 27, 2024

रविन्द्र चौबे ने साहित्यकार श्री रामेश्वर वैष्णक के काव्य संकलन अमरनाथ मरगे का किया विमोचन

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रायपुर

कृषि मंत्री श्री रविंद्र चौबे ने अपने निवास में छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री रामेश्वर वैष्णव की छत्तीसगढ़ी हास्य व्यंग्य काव्य संकलन अमरनाथ मरगे का विमोचन किया। इस अवसर पर विधायक श्री कुलदीप जुनेजा, छत्तीसगढ़ योग आयोग अध्यक्ष श्री ज्ञानेश शर्मा, अन्य जनप्रतिनिधि, कवि एवं साहित्यकारगण उपस्थित थे।

मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने इस मौके पर श्री रामेश्वर वैष्णव सहित छत्तीसगढ़ के कवियों एवं साहित्यकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि श्री वैष्णव की यह कृति सिर्फ कविताओं का संकलन ही नही है, बल्कि इसमें सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ का जीवन समाहित है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ अनेक महान साहित्यकार, कवियों की जन्मभूमि है ,जिनकी रचनाओं में छत्तीसगढ़ की महान संस्कृति की छाप मिलती है। हम स्वर्गीय सन्त कवि श्री पवन दीवान की बात करें, तो उनकी रचनाओं पढ़ते ही रोमांच पैदा हो उठता है। स्वर्गीय लक्ष्मण मस्तुरिया की रचनाओं में हमारी संस्कृति-परंपरा, संवेदना के साथ विकास की ललक भी दिखती थी। श्री चौबे ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार यहां की परंपरा, खान पान जैसे बोरे-बासी, पकवान तीज-त्यौहार को संरक्षित किया। अस्मिता को पुनर्जीवित किया। श्री चौबे ने कहा कि हमारे राज्य में अनेक विभूतियां है, कुछ के नाम प्रकाश में भी नहीं आ पाए हैं, हमें उनकी रचनाओं, कृतियों उनके योगदान को संकलित करना चाहिए।

पद्मश्री श्री सुरेंद्र दुबे ने कहा कि इस काव्य संकलन का नाम अपने आप में महत्वपूर्ण है। अमरनाथ मरगे में नाथ का मतलब भगवान है। श्री दुबे ने कहा कि श्री वैष्णव की रचनाओं की बात करें, तो उनके द्वारा रचित छत्तीसगढ़ी गजल का उल्लेख अवश्व करना चाहिए, यह अनूठा है। श्री वैष्णव द्वरा रचित बने करे राम हमेशा कई मंचो से प्रस्तुत किया जाता है। श्री सुधीर शर्मा ने कहा कि व्यंग्यकार श्री रामेश्वर वैष्णव छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी अस्मिता के पोषक कवि हैं। चंदैनी गोंदा से लेकर आज तक की उनकी यात्रा छत्तीसगढ़ के किसान, वंचित और गरीब लोगों के सुख-दुख की अभिव्यक्ति है। धर्मांतरण, सामाजिक कुरीतियां और राजनीतिक विसंगतियों को हास्य तथा व्यंग्य के माध्यम से पिरोकर वे दुखी मनुष्य का दुख हरते हैं। इस अवसर पर प्रसिद्ध कवि श्री मीर अली, श्री माणिक विश्वकर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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