हर 40 घंटे में देश में एक वनराज हो रहा भारत में मौत का शिकार, MP का रिकॉर्ड सबसे खराब
नईदिल्ली
देश में हर 40 घंटे में एक बाघ की मौत हो रही है। इस साल अब तक अलग-अलग राज्यों में 30 बाघों की मौत हो चुकी है। बाघों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश का रिकॉर्ड सबसे खराब है, तो दूसरी ओर, यूपी में एक बाघ की मौत हुई है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की वेबसाइट में जारी इन आंकड़ों में अधिकांश मौतों का कारण भी स्पष्ट नहीं है।
इस साल एक जनवरी से 20 फरवरी तक 30 बाघों की मौत से प्राधिकरण भी हैरत में हैं। जिन बाघों की मौत हुई है, उनमें नौ नर हैं और इतने ही मादा हैं। जबकि अन्य 12 के नर या मादा होने की जानकारी नहीं मिल सकी है। इनमें से 18 वयस्क थे। उत्तराखंड को बाघों के लिए सुरक्षित माना जा सकता है।
वर्ष 2018 में हुई बाघों की गणना के अनुसार, देश में कुल 2967 बाघ हैं। इनमें सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्य प्रदेश में हैं। इसके बाद कर्नाटक में 524 और तीसरे पायदान पर उत्तराखंड में 442 बाघ हैं। बाघों की इतनी संख्या के बावजूद यहां इनकी मौत का आंकड़ा बहुत कम है।
यूपी-बिहार में एक-एक मौत
बाघों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश का रिकॉर्ड सबसे खराब है। वहां सबसे ज्यादा नौ मौतें हुईं। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है जहां पर सात बाघों की मौत हुई है। तीसरे नंबर पर कर्नाटक और राजस्थान हैं, जहां पर 3-3 मौतें हुईं। उत्तराखंड और असम में 2-2 जबकि तमिलनाडु, केरल, बिहार और उत्तर प्रदेश में 1-1 बाघ की मौत एक जनवरी से 20 फरवरी के बीच हुई।
मौतें जांच के दायरे में
एनटीसीए की वेबसाइट के मुताबिक, वर्ष 2020 में हुई 73 बाघों की मौत जांच के दायरे में हैं। वहीं, वर्ष 2012 से लेकर 2020 तक की रिपोर्ट पर गौर करें तो वर्ष 2020 में सबसे अधिक बाघों की मौत हुई थी, जिसकी जांच फिलहाल चल रही है। 2021 में 127 तो वर्ष 2022 में 121 बाघों की मौत हुई थी।