November 27, 2024

कमिंस के पास चिंता करने के लिए बहुत कुछ, दूसरे टेस्ट में स्वयं से गेंदबाजी कराना भूल गया: बोर्डर

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सिडनी
 दिग्गज क्रिकेटर एलेन बोर्डर का मानना है कि पैट कमिंस के पास चिंता करने के लिए काफी कुछ है क्योंकि भारत के खिलाफ श्रृंखला ‘कप्तान के रूप में उनकी पहली असली परीक्षा’ थी और इस प्रक्रिया में दिल्ली में दूसरे टेस्ट में उन्होंने स्वयं से काफी कम गेंदबाजी कराई।

ऑस्ट्रेलिया ने नागपुर और दिल्ली में शुरुआती दो टेस्ट हारने के बाद बोर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने का मौका गंवा दिया है। भारत दौरे पर आने से पहले कप्तान के रूप में सिर्फ एक मैच में शिकस्त झेलने वाले कमिंस दिल्ली में छह विकेट की हार के दौरान ऑस्ट्रेलियाई अंतिम एकादश में एकमात्र तेज गेंदबाज थे। उन्होंने पहली पारी में सिर्फ 13 ओवर फेंके और भारत की दूसरी पारी में बिल्कुल भी गेंदबाजी नहीं की।

बोर्डर ने ‘एसईएन रेडियो’ से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पैट ने उस टेस्ट मैच में खुद से बहुत कम गेंदबाजी कराई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे मौके थे जब हम भटकने लगे थे, खासकर भारत की पहली पारी में जब हमने उन्हें एक अच्छी साझेदारी बनाने का मौका दिया। उस समय अगर वह दो या तीन ओवर आक्रामक गेंदबाजी करता तो…।’’

ऑस्ट्रेलिया ने भारत का स्कोर सात विकेट पर 139 रन कर दिया था लेकिन अक्षर पटेल और रविचंद्रन अश्विन ने 114 रन की साझेदारी की जिससे मेजबान टीम ने अपने स्कोर को मेहमान टीम के स्कोर से एक रन कम तक पहुंचा दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मैदान पर अन्य लोग हैं जो कप्तान के पास जा सकते हैं और कह सकते हैं, ‘दोस्त, आप गेंदबाजी क्यों नहीं करते?‘‘

बोर्डर ने कहा, ‘‘लेकिन मुझे लगता है कि एक कप्तान के रूप में पैट की यह पहली वास्तविक परीक्षा है, बाकी सब आसान रहा है, आप उपमहाद्वीप में जाते हैं और अचानक हर विभाग में आपकी परीक्षा होती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह बहुत सी अलग-अलग चीजों को लेकर चिंतित है, मुझे लगता है कि वह खुद से गेंदबाजी कराना भूल गया। जब आपका प्रमुख तेज गेंदबाज आपका कप्तान हो तो ऐसा हो सकता है।’’

पूर्व विकेटकीपर इयान हीली ने महसूस किया कि कमिंस ने दूसरी पारी में ‘मानसिक शक्ति’ खो दी जिससे दूसरी पारी में सही क्षेत्ररक्षण नहीं लगा पाए। हीली ने कहा, ‘‘फिर मानसिक तनाव जिसके कारण वह सही क्षेत्ररक्षण नहीं लगा पाया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बल्ले के चारों तरफ कैच लेने वाले अधिक क्षेत्ररक्षक लगाने के बजाय उसने बाउंड्री पर क्षेत्ररक्षक लगाए थे। इसके (गेंदबाजी में बदलाव) बारे में सोचने के लिए दिमाग की बहुत शक्ति की जरूरत होती है।’’

 

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