27 फरवरी से होगा होलाष्टक का प्रारंभ, क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए
होली से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहते हैं। जो कि इस साल 27 फरवरी से 7 मार्च तक रहेगा। इन दिनों को शुभ कामों के लिए अशुभ माना जाता है। इसलिए होलाष्टक में गृह प्रवेश, शादी, सगाई, मुंडन और अन्य शुभ कामों की मनाही होती है। इस दौरान पूजा-पाठ, अनुष्ठान और मंत्र जाप करना शुभ होता है। इसलिए होली से पहले के आठ दिनों में खासतौर से भगवान विष्णु की पूजा और महामृत्युंजय मंत्र जाप करना फायदायी माना जाता है।
इस दौरान क्या करें?
इन दिनों में विष्णु भक्त प्रहलाद ने स्वयं भगवान विष्णु की आराधना की थी और स्वयं भगवान ने उनकी सहायता की थी। इसलिए होलाष्टक के दौरान स्नान-दान, जाप, देवी-देवताओं की पूजा और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।
इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान, यज्ञ करने चाहिए ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से उसे हर तरह के रोग और कष्टों से छुटकारा मिलता है और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
कौन से शुभ काम न करें
होलाष्टक के इन 8 दिनों के दौरान खासतौर से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य शुभ कामों को करने की मनाही होती है। साथ ही इन दिनों में अंतिम संस्कार को छोड़कर शेष सभी संस्कारी कर्म नहीं किए जा सकते हैं। होलाष्टक के दौरान बहु-बेटियों के घर आने का मुहूर्त, सगाई, गोद भराई और बच्चे के जन्म के बाद होने वाली सूरज और छठ पूजा भी नहीं की जाती। वहीं, इन दिनों में नए व्यापारिक प्रतिष्ठान की शुरुआत की भी मनाही है।
क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य?
माना जाता है कि इन 8 दिनों में राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से हटाने के लिए विविध यातनाएं दी थीं। लेकिन विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद ने हर कष्ट झेला। तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद ली।
होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था, जिस कारण वो प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गए पर होलिका अग्नि में भस्म हो गई। इसलिए इन आठ दिनों में विष्णु भक्त प्रहलाद के लिए कष्टप्रद समय था, यही कारण है कि होलाष्टक के समय को अशुभ माना जाता है।