वसुंधरा राजे के बाद नंबर दो के लिए सियासी खींचतान, नेता प्रतिपक्ष कौन? BJP तय नही कर सकी एक नाम
जयपुर
राजस्थान में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा नेता प्रतिपक्ष तय नहीं कर पाई है। नेता प्रतिपक्ष की रेस में सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़, कैलाश मेघवाल और मदन दिलावर के नाम शामिल है। सूत्रों के अनुसार वसुंधरा राजे ने नेता प्रतिपक्ष बनने से साफ इनकार कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया या उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ नेत प्रतिपक्ष बन सकते हैं। प्रदेश भाजपा में नेता प्रतिपक्ष का पद नंबर दो की हैसियत माना जाता है। खींचतान जारी है। पार्टी आलाकमान तय नहीं कर पा रहा है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं कर पाने के पीछे बीजेपी की गुटबाजी एक बड़ा कारण है। दूसरी वजह है कि जिस नेता का नाम तय होगा, वह भावी मुख्यमंत्री की दौड़ में दावेदार बन जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष का पद इसलिए हुआ खाली
उल्लेखनीय है कि राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रहे गुलाबचंद कटारिया को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने असम का राज्यपाल नियुक्त किया है। इसके बाद सूबे में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हो गया है। लेकिन बीजेपी सदन के नेता का नाम तय नहीं कर पाई है। वर्तमान में राजस्थान विधानसभा में बजट सत्र चल रहा। सरकार को घेरने के लिए नेता प्रतिपक्ष की भूमिका अहम होती है। नेता प्रतिपक्ष ही सदन के किसी भी नेता की ओर से लगाए गए सवाल पर बोलते हैं। वही सरकार को घेरने का काम करते हैं लेकिन अब नेता प्रतिपक्ष नहीं होने से विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने वाला कोई नहीं है। फिलहाल कटारिया की जिम्मेदारी सतीश पूनिया निभा रहे हैं। विधानसभा सदन की कार्रवाई 27 फरवरी तक स्थगित है। कल 28 फरवरी को सुबह 11 बजे फिर से सदन की कार्रवाई शुरू होगी।
गुटबाजी की वजह से नाम तय नहीं
पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं कर पाने के पीछे बीजेपी की गुटबाजी एक बड़ा कारण है। दूसरी वजह है कि जिस नेता का नाम तय होगा, वह भावी मुख्यमंत्री की दौड़ में दावेदार बन जाएगा। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर तभी लगेगी जब केंद्रीय नेतृत्व इस पर फैसला लेगा। प्रदेश के नेताओं की निगाहें अब केंद्रीय नेतृत्व पर टिकी है। किसी भी तरह के विवाद से बचने को लेकर प्रदेश स्तर पर इस बारे में कोई भी फैसला नहीं लिया जा रहा। इतना तो तय है कि जो भी विधायक नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठेगा, उनका कद और पद पार्टी में स्वतः ही बढ़ जाएगा। हालांकि जब तक नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं हो जाता तब तक सतीश पूनिया प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएंगे। बता दें कटारिया दो बार नेता प्रतिपक्ष रहे। लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। वसुंधरा राजे ही मुख्यमंत्री बनीं थी।