9 साल तक केजरीवाल जिस काम से रहे दूर, अब उसके लिए मजबूर? दो ही रास्ते और दोनों में एक मुश्किल
नई दिल्ली
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया को रविवार शाम सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। शराब घोटाले में घिरे सिसोदिया को 9 घंटे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। सिसोदिया को बेल कब मिलेगी और वह जेल से कब बाहर निकल पाएंगे यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन पेशी से पहले उन्होंने खुद आशंका जाहिर की कि 8-10 महीने अंदर रहना पड़ सकता है। सिसोदिया को यदि जल्दी बेल नहीं मिलती है तो दिल्ली की आम आमदी पार्टी सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ जाएंगी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दाएं हाथ कहे जाने वाले सिसोदिया सरकार में आधे से अधिक विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य,रोजगार, श्रम समेत 18 महवत्वपूर्ण विभागों का काम देखने वाले सिसोदिया की गिरफ्तारी से सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि इन जिम्मेदारियों को अब कौन संभालेगा?केजरीवाल 9 साल से दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उन्होंने अपने पास कोई मंत्रालय नहीं रखा है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि केजरीवाल को पहली बार कुछ अहम मंत्रालयों का कामकाज अपने हाथ में लेना पड़ सकता है।
लेकिन एक मुश्किल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल के पास विकल्पों का अभाव है, लेकिन वह सिसोदिया के विभागों का जिम्मा अपने हाथ में नहीं लेना चाहेंगे। इसकी वजह यह है कि 2024 से पहले वह पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार देना चाहते हैं। ऐसे में यदि सिसोदिया के 18 विभागों का जिम्मा वह अपने हाथ में लेते हैं तो विस्तार योजना के लिए अधिक समय नहीं दे पाएंगे। केजरीवाल यदि पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में ताबड़तोड़ दौरे करके पार्टी के लिए स्थान बना पाए तो उसकी मुख्य वजह यही है कि सिसोदिया सरकार के हर कामकाज को उनकी अनुपस्थिति में संभालते रहे।
कैबिनेट फेरबदल का चुनेंगे रास्ता?
केजरीवाल के पास दूसरा रास्ता कैबिनेट फेरबदल का है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को कुछ विभाग सौंप सकते हैं। दूसरा विकल्प कैबिनेट विस्तार का भी हो सकता है। हालांकि, इसके लिए किसी मंत्री से इस्तीफा कराना होगा। माना जा रहा है कि पिछले साल मई से ही बंद सत्येंद्र जैन से इस्तीफा कराया जा सकता है। मार्च के पहले या दूसरे सप्ताह में दिल्ली का बजट भी पेश होने वाला है। ऐसे में जल्द ही केजरीवाल को कोई फैसला करना पड़ सकता है।