किसानों के लिए पंजाब सरकार का बड़ा कदम, लाभ लेने के लिए सिर्फ 2 दिन बाकी
चंडीगढ़
मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार राज्य के किसानों को अलग-अलग कृषि मशीनों की खरीद और कस्टम हायंरिंग सैंटर स्थापित करने के लिए सब्सिडी देगी। यह बात पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कही। धालीवाल ने कहा कि राज्य के किसान निजी तौर पर और कस्टम हायरिंग सैंटर स्थापित करने के लिए 28 फरवरी तक विभाग की वेबसाईट पर ऑनलाइन आवेदन देकर इस सब्सिडी का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि मंत्री ने बताया कि यह कदम सब-मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाईज़ेशन (समैम) स्कीम के अधीन राज्य में कृषि मशीनरी को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया है। उन्होंने बताया कि इस स्कीम के अधीन किसान निजी तौर पर और कस्टम हायरिंग सैंटरों के अधीन पंचायतों, सहकारी सोसायटियों, ग्रामीण उद्यमी, किसान उत्पादक संस्थाएँ (एफ.पी.ओ.), रजिस्टर्ड किसान ग्रुप आदि मशीनों पर सब्सिडी ले सकते हैं। धालीवाल ने बताया कि व्यक्तिगत किसानों के लिए लेजऱ लैंड लैवलर, पोटैटो प्लांटर (ऑटोमैटिक), पोटैटो प्लांटर (सेमी-ऑटोमैटिक), एयर ऐसिस्टिड स्प्रेयर, नुमैटिक प्लांटर, पावर वीडर (इंजन/पी.टी.ओ. ऑपरेटिड), ट्रैक्टर ऑपरेटिड फर्टिलाइजऱ ब्रॉडकास्टर, पैडी ट्रांसप्लांटर (सैल्फ प्रोपैल्ड राईड ऑन और वॉक बिहाईंड), रेज़्ड बैड प्लांटर, सब स्वाइलर, सिंगल रो फोरेज़ हारवैस्टर, पोटैटो डिगर, डी.एस.आर ड्रिल, ट्रैक्टर ऑपरेटिड स्प्रेयर (बूम स्प्रेयर), पावर हैरो, ट्रैक्टर ड्रॉन इनक्लाइन्ड प्लेट प्लांटर विद प्री-इमरजैंस हरबीसाईड स्ट्रिप ऐप्लीकेटर (लक्की सीड ड्रिल) आदि मशीनों पर सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि कस्टम हायरिंग सैंटर की अलग-अलग श्रेणियाँ, जो 10 लाख, 25 लाख, 40 लाख और 60 लाख आदि की लागत के साथ स्थापित हैं, मशीनों की खरीद के लिए सब्सिडी ले सकेंगी। उन्होंने बताया कि सब्सिडी की दरें जनरल वर्ग के लिए 40 प्रतिशत, स्पैशल कम्पोनेंट के लिए 50 प्रतिशत और कस्टम हायरिंग सैंटरों के लिए 40 प्रतिशत होंगी। धालीवाल ने राज्य के किसानों और किसानों से सम्बन्धित अलग-अलग ग्रुपों को मशीनों की खरीद पर सब्सिडी का लाभ लेने और कृषि में मशीनीकरण अपनाने का न्योता देते हुए कहा कि मशीनीकरण अपनाकर किसान अपनी आमदन में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सब्सिडी संबंधी अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसान अपने जि़लों के मुख्य कृषि अधिकारी को भी मिल सकते हैं।