वषीर्दान वरघोड़ा में केसर व पुष्प की वर्षा के साथ की गई दीक्षार्थियों के लिए मंगलकामना
रायपुर
जीवन की भौतिक सुखों का त्याग कर संयम के मार्ग पर चल पड़े जैन समाज के दो दीक्षार्थियों संदीप कोचर व कु. प्रज्ञा कोचर का वषीर्दान वरघोड़ा मंगलवार की सुबह दादाबाड़ी से निकलकर श्री ऋषभदेव जैन मंदिर सदर बाजार पहुंचा। पूरे मार्ग भर केसर व पुष्प वर्षा के साथ नाचते गाते सकल संघ के सैकड़ों की संख्या में लोगों ने इनके लिए प्रभु से मंगलकामना की। इससे पूर्व 18 अभिषेक विधान, गुरुमूर्ति अभिषेक, ध्वजदंड कलश अभिषेक के साथ संपन्न हुआ। जन्मकल्याणक महोत्सव मनाया गया। भगवती प्रवज्या और दोनों दीक्षार्थियों के नाम की बुधवार को घोषणा होगी, आगे वे इन्ही नाम से जाने जायेंगे।
परमात्मा की प्रतिष्ठा करवाना और उसके हर विधान में अपने आप को सहभागी करने का अनंत गुना लाभ है और धर्म नगरी रायपुर के लिए यह परम सौभाग्य की बात है कि परमात्मा प्रतिष्ठा के साथ ही संदीप कोचर (37 वर्ष) एवं कु. प्रज्ञा कोचर (23 वर्ष) की जैन भगवती दीक्षा होने जा रही है। संसार के भौतिक सुखों में हम दिन रात लगे रहते है और वही भौतिक सुख हमारे दु:ख का कारण है। हम यह सब जानते है फिर भी इस मोह माया के जंजाल से निकलना नहीं चाहते है पर आज दो युवा दीक्षार्थी को देख कर ऐसा लगता है कि इन्होने कम उम्र में ही परमात्मा की वाणी को अंगीकार कर लिया और इस संसार के दिखावे की रिश्तों को छोड़कर कर परमात्मा से अपना रिश्ता जोड?े का मन बना लिया है।
मंगलवार की सुबह 10 बजे रत्नपुरी नगरी साइंस कॉलेज में परमात्मा के जन्म की बधाई सर्वप्रथम प्रियंवदा दासी द्वारा राजा भानु को दिया गया। राजा भानु ने प्रियंवदा को बधाई के रूप में 7 जन्मों तक न समाप्त हो ऐसा धन धान्य की खुशी से भर देते है। जैन धर्म में सभी वर्ग को सामान रूप से देखा गया है और सबको सम्मान दिया गया है, इसलिए परमात्मा के जन्म की बधाई सदैव प्रियंवदा दासी नाम की दासी ही देती है। संसारी सारे विधि विधान के अनुरूप परमात्मा का नामकरण भुआ द्वारा किया जाता है, परमात्मा का पाठशाला गमन, राज्याभिषेक आदि का मंचन भी बहुत ही आकर्षक ढंग से संपन्न हुआ।
गच्छाधिपति ने अपने हितोपदेश में बताया कि संसार में गुरु मिले तो अनंत लब्धि के धारक गणधर गौतम स्वामी जैसा मिले क्योंकि जो भी गुरु गौतम का शिष्य बना वो गुरु से पहले केवल ज्ञान को प्राप्त किया। गौतम स्वामी अपने भगवन महावीर स्वामी से पूछते है कि मेरा हर शिष्य केवली हो जाता है, मैं कब ज्ञान प्राप्त करूँगा तो परमात्मा बोलते है की मेरे से प्रीति हटा लो तो तुमको भी केवल ज्ञान प्रकट हो जावेगा। परन्तु गणधर गुरु गौतम को परमात्मा से असीम प्रीति रहती है वो बोलते है …. केवल ज्ञान न मिले पर परमात्मा मिले, मुझे चलेगा। भव भव मिले शासन तेरा प्रभु चरण सेवा पाऊ मैं शीतल चरण की छाव में वीतराग खुद बन जाऊ। मैं जैसे मीरा कृष्ण के प्रेम में दीवानी थी वैसे ही गणधर गुरु भी महावीर स्वामी के बिना एक पल भी नहीं रह पाते थे।
बुधवार का कार्यक्रम
1 मार्च बुधवार को प्रात: 4 बजे से दोनों दीक्षार्थियों की दीक्षा विधान रत्नपुरी नगरी साइंस कालेज प्रांगण में प्रारम्भ होगा और वो संयम के मार्ग पर चल पड़ेंगे, दोनों दीक्षार्थी के नामो की घोषणा गच्छाधिपति द्वारा की जायेगी। साथ ही परमात्मा के दीक्षा की विनती का मंचन होगा।
अद्भुत त्याग के धारक तीर्थंकर परमात्मा जब माता के कुक्षी में आते हैं तब से ही निर्मल शुद्ध मती श्रुत और अवधी ज्ञान के स्वामी होने से स्वयं दीक्षा का समय जानते हैं फिर भी परंपरा आचरण मयार्दा के कारण नव लोकतांत्रिक देवों की प्रार्थना तीर्थ प्रवर्तकों की विनती के पश्चात ही भगवान 1 वर्ष तक प्रतिदिन एक करोड़ आठ लाख स्वर्ण मोहरे का दान देकर जगत के जीवो की दरिद्रता दूर करते हैं पश्चात सर्व विरती धर्म संयम को स्वीकार करते हैं इसे दीक्षा कल्याणक कहते हैं और इसका मंचन रत्नपुरी नगरी में प्रात: 10 बजे से होगा।
लग्नोत्सव में धर्म अर्थ काम मोक्ष के चार फेरों की यात्रा, सगाई महोत्सव, मायरा (मामेरा), लग्नोत्सव (पाणिग्रहण विधि), राज्याभिषेक, वैराग्य चिंतन, 9 लोकांतिक देवों द्वारा परमात्मा की दीक्षा विनंती होगा।