9 महीने तक जेल में मंत्री रहे सत्येंद्र, केजरीवाल ने सिसोदिया से तुरंत क्यों हटाया
नई दिल्ली
9 साल से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले के फांस में अपना पद त्यागना पड़ा। सिसोदिया के अलावा सत्येंद्र जैन का भी इस्तीफा हो गया है, जो 9 महीने जेल में बंद होने के बावजूद मंत्री बने हुए थे। दोनों का इस्तीफा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वीकार करते हुए एलजी वीके सक्सेना के पास भेज दिया है। आम आदमी पार्टी ने जहां इसे नैतिकता की मिसाल के तौर पर पेश करने की कोशिश की है तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इसे मजबूरी बताते हुए सवाल किया है कि सत्येंद्र जैन को हटाने में इतनी देरी क्यों की गई? सवाल यह भी उठ रहा है कि जेल में बंद सत्येंद्र 9 महीने तक मंत्री बने रहे तो सिसोदिया से महज 2 दिन में क्यों इस्तीफा ले लिया गया?
दरअसल, मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद सरकार के कामकाज पर संकट खड़ा हो गया था। दिल्ली के 33 में से 18 विभागों को संभालने वाले सिसोदिया के सीबीआई रिमांड पर चले जाने के बाद इन विभागों का कामकाज प्रभावित होना तय था। सिसोदिया के पास वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत कई अहम मंत्रालय थे। दिल्ली सरकार का कामकाज ठीक से चले इसके लिए दो नए मंत्रियों की आवश्यकता है और इसके लिए मौजूदा दो मंत्रियों का इस्तीफा लेना अनिवार्य हो गया था। क्योंकि दिल्ली में अधिकतम छह ही मंत्री हो सकते हैं।
डैमेज कंट्रोल की कोशिश?
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की कोख से जन्मी आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता की करप्शन केस में गिरफ्तारी से पार्टी की छवि को काफी नुकसान होने की आशंका है। भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों को 'आप' के खिलाफ पहली बार इतना आक्रामक होने का मौका मिल चुका है। ऐसे में दोनों मंत्रियों के इस्तीफे को डैमेज कंट्रोल की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। 9 महीने तक सत्येंद्र जैन के बचाव की वजह से पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी। मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद होने के बावजूद खुद केजरीवाल सत्येंद्र जैन के लिए भारत रत्न की मांग कर चुके थे।
सत्येंद्र जैन वाली गलती दोहराना नहीं चाहती थी AAP
दरअसल, पिछले साल मई में जब सत्येंद्र जैन जेल गए तो 'आप' को उम्मीद थी कि वह कुछ ही दिनों में बाहर निकल आएंगे। इसलिए पार्टी ने उनसे इस्तीफा नहीं कराया। खुद केजरीवाल ने आगे आकर जैन का बचाव किया। उनकी तुलना भगत सिंह से करते हुए भारत रत्न देने की मांग भी जोरशोर से उठाई। केजरीवाल की तरह पूरी पार्टी जैन के पीछे मजबूती से खड़ी हो गई। भाजपा-कांग्रेस का आक्रमण और आप के बचाव के बीच जैन का मुद्दा पार्टी के लिए नाक का सवाल बन चुका था। बाद में जब तिहाड़ जेल से जैन के मसाज वाले वीडियो भी सामने आए तो 'आप' ने उन्हें बीमार बताकर बचाव किया। आप के एक नेता ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा कि पार्टी को कहीं ना कहीं इस बात का अहसास था कि सत्येंद्र जैन का इस्तीफा लेने में हुई देरी से छवि को नुकसान पहुंचा है। पार्टी यही गलती दोबारा नहीं करना चाहती थी।
जल्द बाहर निकलने की उम्मीद नहीं?
शराब घोटाले की जांच सीबीआई के अलावा ईडी भी कर रही है। माना जा रहा है कि सीबीआई के बाद ईडी भी सिसोदिया को अपने कस्टडी में ले सकती है। यदि हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो सिसोदिया के जल्द बाहर आने की उम्मीद नहीं है। खुद सीबीआई के सामने पेशी से पहले सिसोदिया ने कहा था कि उन्हें 8-10 महीने जेल में रहना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि जिस तरह सीबीआई ने लंबे होमवर्क के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार किया है, उसके बाद उनका जल्दी बाहर आना मुश्किल है। खुद केजरीवाल भी इस बात को जानते हैं और यही वजह है कि उनके पास सिसोदिया का इस्तीफा लेने की बजाय कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था।