आरक्षित वर्गों को और अधिक सक्षम एवं अधिकार संपन्न बनाने वाला बजट : जनजातीय कार्य मंत्री सुश्री सिंह
आमजन की आशा और आवश्यकता पर खरा उतरता बजट
भोपाल
अनुसूचित जाति कल्याण एवं जनजातीय कार्य मंत्री सुश्री मीना सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2023-24 का बजट आमजन की आशा और आवश्यकताओं पर खरा उतरने वाला बजट है। उन्होंने बजट को आरक्षित वर्गों को और अधिक सक्षम एवं अधिकार संपन्न बनाने वाला निरूपित किया। उन्होंने कहा कि बजट में आरक्षित वर्गों को सक्षम बनाने के लिए रोजगार, स्व-रोजगार एवं भूमि आवंटन सहित कई योजनाओं के लिए प्रावधान किया गया है, जिससे आरक्षित वर्ग सक्षम एवं अधिकार संपन्न बनकर विकास की मुख्य धारा से जुड़ेगा। मंत्री सुश्री सिंह ने मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री का इसके लिये आभार माना है।
प्रदेश की 5 हजार 210 ग्राम पंचायतों एवं 11 हजार 783 ग्रामों में पेसा एक्ट लागू होने से जनजाति वर्ग जल, जंगल और जमीन के संबंध में खुद फैसला ले सकेंगे। व्यक्तिगत और सामुदायिक उपयोग के लिये मिले वन अधिकार प्रमाण-पत्र दिये जाने से जनजाति वर्ग का अपनी भूमि पर विधिक स्वामित्व होगा। विभिन्न स्व-रोजगार एवं रोजगार योजनाओं के माध्यम से जनजाति युवा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनकर प्रदेश के विकास में सहयोगी बनेंगे।
मंत्री सुश्री सिंह ने कहा कि बजट में जनजातियों के इतिहास, संस्कृति धर्म, रीति-रिवाज और परम्पराओं को संरक्षित करने के लिये भी कई योजनाओं में बजट का प्रावधान किया गया है।
बजट में प्राथमिक शालाओं के लिये 3813 करोड़ रूपये, माध्यमिक शालाओं के लिये 2221 करोड़ रूपये, शासकीय हाई/हायर सेकण्डरी शालाओं के लिये 1089 करोड़ रूपये, सीएम राइज स्कूल के लिये 665 करोड़ रूपये, कक्षा 11वीं एवं 12वीं एवं महाविद्यालय छात्रवृत्ति के लिये 500 करोड़ रूपये, मध्यप्रदेश स्पेशल एण्ड रेसिडेंसियल एकेडेमिक सोसायटी के लिये 436 करोड़ रूपये, सीनियर छात्रावास के लिये 396 करोड़ रूपये, पीबीपीजी आहार अनुदान योजना के लिये 300 करोड़ रूपये, आईटीडीपी/माडा पॉकेट/क्लस्टर में स्थानीय विकास कार्यक्रम के लिये 259 करोड़ रूपये, एकीकृत छात्रावास के लिये 200 करोड़ रूपये, अनुसूचित जाति-जनजाति विद्यार्थियों को आवास के लिये 200 करोड़ रूपये, अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में विविध विकास कार्यों के लिये 150 करोड़ रूपये, जूनियर छात्रावास के लिये 127 करोड़ रूपये, 9वीं और 10वीं कक्षा के विद्यार्थिंयों को छात्रवृत्ति के लिये 125 करोड़ रूपये, विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिये 100 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। विशेष पिछड़ी जनजातियों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए आहार अनुदान योजना में 300 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।