पिछले 24 घंटों में सांस के संक्रमण से सात बच्चों की मौत, डॉक्टरों ने बताई यह वजह
नई दिल्ली
पश्चिम बंगाल से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां पिछले 24 घंटों में सात बच्चों की मौत हो गई है। जानकारी के मुताबिक इन बच्चों की मौत एडिनोवायरस की आशंका जताई जा रही है।
बुधवार को भी इस बीमारी से 5 बच्चों की मौत हो गई थी। आपको बत्ता दें कि एडिनोवायरस से सांस संबधी परेशानी होती है। हालांकि डॉक्टरों ने अब इसकी पुषिट नहीं की है, संबधित टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार है।
फिलहाल, रिपेार्ट से निमोनिया से मौत का पता चला है। डॉक्टरों का कहना है कि 10 साल तक के बच्चों के एडिनोवायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है और उनके बीमारी की गंभीरता भी ज्यादा होती है।
प्रशासन ने कहा कि वह स्थिति से निपटने के लिए तैयार है, और उसने 600 बाल रोग विशेषज्ञों के साथ 121 अस्पतालों में 5,000 बिस्तर तैयार रखे हैं. अधिकारी ने कहा, "पिछले 24 घंटों में कोलकाता के सरकारी अस्पतालों में पांच और बांकुरा सम्मिलानी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दो बच्चों की मौत हुई है."
राज्य सरकार ने कहा कि पिछले एक महीने में राज्य में एआरआई के 5,213 मामले सामने आए. "विभिन्न वायरस के कारण acute respiratory infections (ARI) एक सामान्य मौसमी दिक्कत है. हालांकि, एआरआई संक्रमणों की संख्या चालू वर्ष में अधिक प्रतीत होती है क्योंकि पिछले वर्षों (2021 और 2022) में एडेनोवायरस के कारण होने वाले मौसमी बुखार में उछाल को कोविड-19 वायरस के उछाल ने खत्म कर दिया था.
बयान में कहा गया है, "वर्तमान में वायरल महामारी जैसा कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा. मौजूदा स्थिति कुछ भी नहीं है, लेकिन मौसमी उछाल और एडेनोवायरस के कारण संक्रमण की संख्या में कमी आनी शुरू हो गई है." मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उभरती स्थिति पर बुधवार को एक आपातकालीन बैठक की, जिसके बाद सरकार ने कई निर्देश जारी किए और 24×7 आपातकालीन हेल्पलाइन – 1800-313444-222 की घोषणा की.
राज्य के स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम ने ढांचागत तैयारियों की समीक्षा के लिए डॉ बीसी रॉय पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ पीडियाट्रिक साइंसेज का दौरा किया था और घोषणा की थी कि सीसीयू और सामान्य वार्ड में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जाएगी. 0-2 आयु वर्ग के बच्चों को संक्रमण के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील माना जाता है. डॉक्टरों ने कहा कि बड़े बच्चे वायरस के प्रति कम संवेदनशील होते हैं, अधिकांश मामलों का इलाज घर पर ही किया जा सकता है. बच्चों में, एडेनोवायरस आमतौर पर रेस्पाइरेटरी और इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में संक्रमण का कारण बनता है.