November 25, 2024

मंत्री सिलावट ने स्वीकार कि एजेंसी को 4125.90 करोड़ का भुगतान बगैर सामग्री खरीदे किय, 2 साल बीते कार्रवाई का इंतजार

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भोपाल

जल संसाधन विभाग में कारम डैम में 304 करोड़ के करप्शन का मामला अभी खत्म नहीं हुआ है और अब मां रतनगढ़ सिंचाई परियोजना में हुए करोड़ों के अवैध भुगतान का मामला चर्चा में आ गया है। इस मामले में विधानसभा के माध्यम से चाही गई जानकारी के बाद जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने स्वीकार किया है कि निर्माण एजेंसी को 4125.90 करोड़ रुपए का भुगतान बगैर सामग्री खरीदे किया गया है। इस मामले में जांच कमेटी का गठन कर रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। उधर कारम डैम करप्शन के मामले में मंत्री ने कहा है कि जिस ठेकेदार ने काम किया था, उसी ठेकेदार को स्वयं के व्यय पर काम पूरा करके देना है। इस मामले में अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की जा रही है।

विधायक रविन्द्र सिंह तोमर ने विधानसभा के जरिये शासन ने जानकारी मांगी थी कि मां रतनगढ़ नहर सिंचाई परियोजना किन जिलों में प्रस्तावित है और क्या निर्माण एजेंसी मंटेना वशिष्टा माइक्रो जेवी हैदराबाद को काम किए बिना 412.50 करोड़ का भुगतान किया गया। इसके लिए दोषी अधिकारी पर की गई कार्यवाही की जानकारी भी विधायक ने मांगी। इस सवाल के लिखित जवाब में जल संसाधन मंत्री सिलावट ने कहा है कि यह योजना दतिया और भिंड जिले के लिए प्रस्तावित है। परियोजना में तकनीकी स्वीकृति राशि 1185.39 करोड़ और प्रशासकीय स्वीकृति राशि 2244.97 करोड़ रुपए है। मंत्री सिलावट ने कहा है कि निर्माण एजेंसी को सामग्री खरीदी के विरुद्ध 4125.90 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। यह भुगतान होने के बाद इस मामले में 4 मार्च 2021 को जांच समिति का गठन किया गया है। इस मामले में जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी।

कारम डैम का काम करने वाली एजेंसी कई बार हुई है सस्पेंड
उधर एक अन्य मामला कारम डैम करप्शन के मामले में भी विधायक प्रताप ग्रेवाल ने किया है। विधायक ने पूछा है कि कारम बांध का निर्माण करने वाले एएनएस कंसट्रक्शन को 2013-14 और सारथी कम्पनी को 2019 में दिया गया काम शर्तों के अनुरूप नहीं होने के बाद भी निलंबित कर बहाल क्यों किया गया? इस बांध से हुए नुकसान के बाद किए गए काम और जिम्मेदार अधिकारियों की जानकारी भी मांगी गई। इसके जवाब में मंत्री सिलावट ने कहा कि वर्ष 2013 में एएनएस कंसट्रक्शन कम्पनी नई दिल्ली को बाणसागर परियोजना अंतर्गत पुरवा नहर के 31 किमी से 90.06 किमी तक सीमेंट कांक्रीट लाइनिंग, मरम्मत और अनुरक्षण सही तरीके से नहीं करने के कारण मुख्य अभियंता गंगा कछार द्वारा 29 जुलाई 2013 को एक साल के लिए निलंबित किया गया। इसके बाद 7 नवम्बर 2013 को पंजीयन बहाल करने की अनुशंसा की गई और 26 दिसम्बर 2013 को उसे बहाल किया गया। इसके बाद इस कम्पनी को टीकमगढ़ जिले की हरपुरा नदी लिंक परियोजना का काम समय पर पूरा नहीं करने और लापरवाही पर 19 मई 2014 को तीन साल के लिए पंजीयन निरस्त किया गया। इस मामले में कार्यपालन यंत्री बानसुजारा बांध जल संसाधन संभाग की रिपोर्ट पर 3 सितम्बर 2014 को फिर पंजीयन बहाल किया गया। मंत्री ने बताया कि वर्ष 2019 में मेसर्स सारथी कंसट्रक्शन ग्वालियर को बारना मुख्य नहर विस्तारीकरण का काम सौंपा गया। काम सही नहीं होने पर मुख्य अभियंता नर्मदापुरम द्वारा 26 अगस्त 2019 को पंजीयन निलंबित कर दिया गया। इसके उपरांत 28 मई 2020 को पंजीयन बहाल किया गया।

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