November 25, 2024

फूलों की अच्छी पैदावार हुई महुआ पेड़ की शादी

0

दंतेवाड़ा

बारसूर में महुआ के फूलों की अच्छी पैदावार के लिए बारसूर के देवगुड़ी स्थल के पास आज ग्रामीणों ने महुआ पेड़ की शादी की अनूठी परंपरा निभाई है। इलाके के सिरहा, गुनिया, बैगा समेत ग्राम प्रमुखों के साथ ग्रामीण इकट्ठा हुए। जिन्होंने आदिवासी रीति-रिवाज अनुसार महुआ पेड़ का विवाह संपन्न करवाया। इस शादी की खास बात यह है कि जिस तरह मानव जीवन में दूल्हा- दुल्हन की शादी की रस्म की परंपराए होती हैं, ठीक उसी तरह से रस्मों को करते हुए महुआ के पेड़ों की शादी करवाई गई।

बारसूर ग्राम पटेल झोडूराम प्रधान ने बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, आदिवासी रीति-रिवाजों से दूल्हा-दुल्हन को जिस तरह तेल हल्दी लगाया जाता है ठीक उसी प्रकार महुआ के टहनियों को तेल हल्दी लगाकर शादी करवाया जाता है। इस शादी में बाजे गाजे और शहनाई बजाकर पुरुष ग्रामीण महुआ पेड़ का चक्कर लगाते हुए नाच गायन करते हैं। और तेल हल्दी खेलने का रस्म भी निभाते हैं। शादी की सब रस्म समापन के बाद गांव के देवी-देवताओं की पूजा कर महुआ फूल के च्छे पैदावार की कामना करते है।

उल्लेखनीय है कि बस्तर संभाग के जनजातीय समुदाय में जन्म से लेकर मृत्यु तक महुआ वृक्ष के फल-फूल व पत्तियों का विशेष महत्व होता है। महुआ के बना समाज की शादी विवाह जैसी कई परंपराएं अधूरी होती है। ग्रामीण एक-एक फूलों को संग्रहित कर घर के आंगन में लाकर सप्ताह भर तक अच्छी तरह सूखाते हैं और अपनी आवश्यकता के अनुरूप बेचकर आर्थिक आय प्राप्त करते हैं। सदियों से वनांचल के लोगों के लिए महुआ फूल एक अतिरिक्त आमदनी का जरिया है। महुआ के पेड़ से लेकर फूल, छाल व पत्ते तक सभी उपयोगी है। अलग-अलग बीमारियों के अनुरूप जनजाति समुदाय महुआ को औषधि के रूप में उपयोग करता है। अब छत्तीसगढ़ सरकार भी ग्रामीणों से महुआ फूल खरीदकर उससे कुकीज समेत अन्य खाद्य सामग्री भी बना रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *