महिलाएं रोजाना 1640 करोड़ घंटे बिना वेतन के कर रही हैं काम, आराम करने के मामले में भी पिछड़ीं
नई दिल्ली
देशभर में घर की जिम्मेदारी संभालने वाली महिलाओं को उनके काम के लिए वेतन मिले तो ये देश की जीडीपी के 7.5 फीसदी के बराबर है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के एसबीबाई के इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के अनुसार बिना वेतन घर पर काम करने वाली महिलाएं जीडीपी में 22.7 लाख करोड़ रुपये का योगदान करती हैं। इस तरह से ग्रामीण भारत से बिना वेतन काम करने वाली महिलाएं 14.7 और शहरी क्षेत्रों से आठ लाख करोड़ रुपये का योगदान करती हैं।
बिना वेतन के करोड़ों घंटे काम
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की 2022 में जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 64 देशों में महिलाएं रोजाना 1640 करोड़ घंटे बिना वेतन के काम करती हैं। बिना वेतन काम का मूल्य दुनिया के जीडीपी के नौ फीसदी के बराबर है जो 11 ट्रिलियन डॉलर के करीब है। एशिया और प्रशांत क्षेत्र में बिना वेतन के महिलाएं पुरुषों की तुलना में 4.1 गुना ज्यादा काम करती हैं।
महिलाओं की भागीदारी बेहद अहम
रिपोर्ट के अनुसार घर की जिम्मेदारी और कामकाज संभालने वाली महिलाएं घर के साथ देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में अहम योगदान है। महिलाओं के बलबूते ही घर का पुरुष समय पर काम के लिए पहुंचता और इसका सीधा असर उत्पादकता पर पड़ता है। उत्पादक्ता बढ़ने से अर्थव्यवस्था को गति मिलती है और अर्थव्यवस्था की चाल संतुलित रहती है।
पांच से आठ हजार औसत वेतन
रिपोर्ट के अनुसार एक महिला औसतन 7.2 घंटे घर पर घरेलू काम में जुटी रहती है। शहरी क्षेत्र में घरेलू काम में व्यस्त महिलाओं को हर महीने औसतन आठ हजार और ग्रामीण भारत की महिलाओं को पांच हजार वेतन दिया जाए तो ये रकम जीडीपी के 7.5 फीसदी हिस्से के बराबर होगी। ऐसे में करीब आठ घंटे के काम के लिए औसतन इतना वेतन मिलना चाहिए।
काम के साथ घर की जिम्मेदारी
शोधकर्ताओं का मानना है कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पांच और शहरी क्षेत्रों में 30 फीसदी महिलाएं घर के काम के साथ नौकरी भी कर रही हैं। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था में पुरुषों की तुलना में ऐसी महिलाओं की भूमिका अहम है। अनुमान है कि घर पर रहने वाली महिलाएं काम पर जाने लगें तो अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने की गति में तेजी दिख सकती है।
आराम करने में पिछड़ी महिलाएं
आईआईएम अहमदाबाद की फरवरी में जारी रिपोर्ट के अनुसार आराम करने के मामले में भी महिलाएं पिछड़ गई हैं। पुरुषों की तुलना में अच्छा समय बिताने के मामले में महिलाएं 24 फीसदी पीछे हैं। घर पर काम करने वाली दस में से सात महिलाएं खुद को पूरा समय नहीं दे पाती हैं। इसका कारण उन्हें आए दिन स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी रहती है।