September 24, 2024

और बढ़ गया दर्द, पूर्वोत्तर के नतीजों के बाद Congress के देश में सिर्फ 16% MLA

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नईदिल्ली

भारत जोड़ो यात्रा, नेतृत्व परिवर्तन समेत कई फैसले कांग्रेस ने बीते कुछ वक्त में लिए हैं, लेकिन उसके लिए कुछ भी काम आता नहीं दिख रहा है। त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनाव उसके लिए फिर से निराशा लेकर आए हैं। तीनों राज्यों की 180 सीटों में से उसके हाथ सिर्फ 8 सीटें ही लगी हैं। इनमें से भी नागालैंड में वह जीरो पर ही अटक गई है। त्रिपुरा में महज 3 और मेघालय में 5 सीटों से उसे संतोष करना पड़ा है। यही नहीं देश भर में फिलहाल 4033 विधायक हैं, जिनमें से उसके पास महज 658 ही हैं, जो 16 फीसदी के बराबर हैं। इससे पहले 2014 में यह आंकड़ा 24 फीसदी का था।

कांग्रेस के हालात को इससे भी समझा जा सकता है कि 4 राज्यों में अब उसका कोई विधायक नहीं बचा है। पैन-इंडिया पार्टी कांग्रेस के लिए यह निराशाजनक है और कई राज्यों में पांव उखड़ने का संकेत इससे मिलता है। फिलहाल आंध्र प्रदेश, नागालैंड, सिक्कम और दिल्ली में उसका कोई विधायक नहीं है। पश्चिम बंगाल में भी उसका कोई विधायक 2021 के चुनाव में नहीं जीता था, लेकिन गुरुवार को ही आए नतीजों में बंगाल के उपचुनाव में वह सागरदिघी सीट जीतने में सफल रही है। इस तरह बंगाल में उसका खाता खुल गया है।

यही नहीं कई राज्य ऐसे भी हैं, जहां कांग्रेस की मौजूदगी नाम मात्र की ही है। देश के सबसे ज्यादा 403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास सिर्फ 2 विधायक ही हैं। इसके अलावा बिहार में भी उसके 19 ही विधायक हैं। पंजाब में भी उसकी स्थिति काफी कमजोर हो चली है। तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा जैसे राज्यों में भी वह बेहद कमजोर है। इससे समझा जा सकता है कि देश के बड़े हिस्से में कांग्रेस लगातार अपना वजूद खो रही है। भाजपा के मुकाबले राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर कांग्रेस की पोजिशन लगातार कमजोर हो रही है।

9 राज्यों में कांग्रेस की 10 से भी कम सीटें

देश के 9 राज्यों में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 10 से भी कम रह गई है। 137 सालों के इतिहास में कांग्रेस के सामने शायद ही कभी इतनी कठिन चुनौती रही हो। एक तरफ मल्लिकार्जुन खड़गे के तौर पर कांग्रेस ने दलित नेता को कमान दी है तो 5 महीने तक राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी। उसके बाद भी ज्यादा सीटें न मिल पाना कांग्रेस के लिए चिंता की बात है। एक तरफ उसने दिसंबर में गुजरात फिर से गंवाया था तो वहीं इस साल की शुरुआत में ही तीन राज्यों में उसकी कलई खुल गई है।

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