September 24, 2024

अमित शाह ने नीतीश कुमार से की बात, बिहार में JDU-BJP के फिर साथ आने के लग रहे कयास

0

 नई दिल्ली

 राजनीति के हिसाब से बिहार बहुत ही रोचक राज्य है। बीते साल नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जब गठबंधन तोड़ा तो दोनों के रिश्ते सदा के लिए खत्म होने की बात कही जाने लगी थी। मुख्यमंत्री ने खुद भी कहा था कि अब बीजेपी के साथ जाने का सवाल ही नहीं पैदा होता है। हालांकि, सियासत में कुछ भी परमानेंट नहीं होता है। ना दोस्ती और ना ही दुश्मनी। बिहार में इन दिनों कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं। ऐसा कहा जाने लगा है कि तेजस्वी यादव के पास सत्ता का सुख अब ज्यादा दिन नहीं रहने वाला है। नीतीश कुमार फिर एकबार बीजेपी के साथ आ सकते हैं। एक मार्च को जब नीतीश कुमार अपना 72वां जन्मदिन मना रहे थे तो उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी। इसके अलावा कई भाजपा नेता और बीजेपी शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बधाई देने वालों की लिस्ट में शामिल हुए। नीतीश कुमार ने भी धन्यवाद देने में देरी नहीं लगाई। हालांकि, बधाई देने में देरी उनके डिप्टी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कर दी। हालांकि, सीएम ने उन्हें भी धन्यवाद कहा।

अमित शाह ने नीतीश कुमार को किया फोन
इस दिन एक और बड़ी सियासी घटना घटी। जेडीयू के वरिष्ठ सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, केंद्रयी गृह मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह ने नीतीश कुमार को फोन कर जन्मदिन की बधाई दी। जाहिर सी बात है कि जब दो पार्टियों के दो दिग्गज नेता आपस में बात करते हैं तो कई सियासी मुद्दों पर भी चर्चा होती है। लोग कयास लगाने लगे हैं कि बिहार में संभावित गठबंधन को लेकर भी चर्चा हुई होगी। इसी दिन केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी फोन कर नीतीश कुमार को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

जेडीयू-बीजेपी के साथ आने के लग रहे कयास
अमित शाह का फोन करके बधाई देना एक बड़े सियासी उलटफेर की तरफ इशारा कर रहा है। इन घटनाक्रमों से बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते फिर से पटरी पर आने के कयास लगने लगे हैं। अगर दोनों दलों के रिश्ते सुधरते हैं तो इसका असर बिहार की सियासत में भी देखने को मिल सकता है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि बीजेपी और जेडीयू फिर साथ-साथ आए और बिहार में नई सरकार बनाए।

बीजेपी के लिए नीतीश क्यों हैं जरूरी?
बिहार में जब-जब जेडीयू और बीजेपी ने साथ-साथ लोकसभा चुनाव लड़ा है तो शानदार प्रदर्शन किया है। 2019 में एनडीए गठबंधन ने बिहार की 40 में 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2024 में भी केंद्र की सत्ता में वापसी करने के लिए बीजेपी को बिहार की जरूरत पड़ेगी। बिहार में एक तबका ऐसा भी है जो सिर्फ नीतीश कुमार के चेहरे पर वोट करता है। उनके लिए गठबंधन या पार्टी मायने नहीं रखती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह बात साबित हो चुकी है। शायद यही कारण है कि अभी तक जेडीयू में कोई बड़ी तोड़फोड़ नहीं हुई है। अगर फिर से नीतीश कुमार और बीजेपी साथ-साथ आती है तो लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।

अपने पुराने डिप्टी के घर पहुंचे नीतीश
नीतीश कुमार शनिवार को अपने पुराने साथी और बीजेपी नेता तारकिशोर प्रसाद के पिता के श्राद्ध कर्म में शामिल होने के लिए कटिहार पहुंचे। यहां वह करीब एक घंटे तक रुके। उनके साथ उनके दो-दो सिपहसलार और वरिष्ठ मंत्री संजय झा और विजय चौधरी भी साथ थे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *