November 26, 2024

ज्ञान की भाषा के रूप में हिंदी विषय पर दो दिवसीय गोष्ठी आज से शुरू

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हिंदी विमर्श, साहित्य और अनुवाद पर बात करेंगे विद्वान
हिंदी में समाज विज्ञान व दर्शन की दशा व दिशा पर बातचीत होगी

बिलासपुर
साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़, रायपुर और अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, बेंगलूरु गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर और श्रीकान्त वर्मा पीठ, बिलासपुर के साथ मिलकर बिलासपुर में ‘ज्ञान की भाषा के रूप में हिन्दी’ विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन कर रहे हैं। संगोष्ठी 5-6 मार्च, 2023 रविवार-सोमवार को होगी।

आयोजकों ने बताया कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य हिंदी के साहित्य जगत के ज्ञान की दुनिया से अंतर्संबंधों की पड़ताल, समाज विज्ञान व मानविकी के शिक्षण, उसके लिए मौलिक सामग्री के सृजन और इस कार्य में अनुवाद की एक बड़ी भूमिका जैसे विषयों पर चल रही बहस को आगे बढ़ाना व उसमें नए आयाम जोड़ना है। इस संगोष्ठी के पीछे यह विचार है कि हिन्दी में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या तो पिछले सालों में बहुत तेजी से बढ़ी है, मगर उन्हें पढ़ने व शोध के लिए अच्छी सामग्री हिंदी में नहीं मिल पा रही है।

हिंदी में स्तरीय, श्रेष्ठ व मौलिक पुस्तकें और अच्छे अनुवाद काफी क्म हैं। हिंदी में मनोरंजन, पत्रकारिता और साहित्य जैसे क्षेत्रों में जितना काम हुआ है, उतना ज्ञान के क्षेत्रों में नहीं हुआ है। इस गोष्ठी में विद्वान इस बात पर बातचीत करेंगे कि समाज विज्ञान व मानविकी जैसे क्षेत्रों में हिंदी में कैसे ज्ञान सृजन को आगे बढ़ाया जाए और इसमें अनुवाद की क्या भूमिका हो सकती है। इस गोष्ठी के आयोजक महसूस करते हैं कि हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान के नए क्षितिज खुलेंगे तभी हिन्दी समाज के बौद्धिक पुनर्निर्माण की सूरत बनेगी।

सुबह 10 बजे संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल करेंगे। इस सत्र को श्रीकांत वर्मा पीठ के अध्यक्ष रामकुमार तिवारी, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय बेंगलूरु के विद्वान विप्लव कुमार और साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त संबोधित करेंगे।

इसके बाद ‘हिंदी साहित्य और ज्ञान की दुनिया: रिश्तों की पड़ताल’ विषय पर आयोजित सत्र को दिल्ली विश्वविद्यालय से आए वरिष्ठ आलोचक अपूर्वानंद और रवींद्र भारती यूनिवर्सिटी कोलकाता से जुड़े ख्यात इतिहासकार हितेंद्र पटेल संबोधित करेंगे। युवा आलोचक मुरली मनोहर सिंह इस सत्र में संवादी की भूमिका निभाएंगे और सत्र की अध्यक्षता गुरु घासीदास विवि में हिंदी की विभागाध्यक्ष गौरी त्रिपाठी करेंगी। इसी दिन दोपहर को ‘हिंदी में सिद्धांत व दर्शन: दशा और दिशा’ विषय पर बातचीत होगी। इस सत्र में युवा चिंतक विजय झा और युवा दर्शनशास्त्री अमनदीप वशिष्ठ अपनी बात रखेंगे। इस सत्र के संवादी युवा चिंतक  मुदित मिश्र होंगे। इस सत्र की अध्यक्षता बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से आए वरिष्ठ आलोचक राजकुमार करेंगे।

इसके बाद शाम 4 बजे ‘ सिद्धांत की भाषा के रूप में हिंदी: मौलिक लेखन और अनुवाद के प्रश्न’ विषय पर होने वाली गोष्ठी को कवि, कथाकार व आलोचक आनंद बहादुर, ख्यात कवि व शिक्षाशास्त्री तरुण गुहा नियोगी और पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के वरिष्ठ दर्शनशास्त्री लल्लन सिंह बघेल संबोधित करेंगे। इस सत्र के संवादी होंगे युवा राजनीति-विज्ञानी अक्षय अनुग्रह।

अगले दिन 6 मार्च सोमवार को सुबह 10 बजे ‘हिंदी, ज्ञानोदय और आधुनिकता: एक आत्ममंथन’ विषय पर होने वाली गोष्ठी में वरिष्ठ आलोचक राजकुमार और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग के व्याख्याता राहुल चतुर्वेदी संबोधित करेंगे। इस सत्र के संवादी होंगे युवा आलोचक भुवाल सिंह। इस सत्र की अध्यक्षता करेंगे वरिष्ठ आलोचक अपूर्वानंद। इसके तुरंत बाद दोपहर 12 बजे ‘हिंदी में समाज विज्ञान: चुनौतियाँ और संभावनाएं’ विषय पर चर्चा होगी, जिसे संबोधित करेंगे युवा समाज विज्ञानी नरेश गोस्वामी और वरिष्ठ राजनीतिविज्ञानी धर्मेंद्र कुमार। इस सत्र के संवादी होंगे युवा राजवीति विज्ञानी:  लखन चौधरी। इस सत्र की अध्यक्षता करेंगी वरिष्ठ राजनीति विज्ञानी अनुपमा सक्सेना।

इसी दिन दोपहर ढाई बजे ‘ज्ञान के माध्यम के रूप में अनुवाद व समाज विज्ञान अध्यापन’ विषय पर बातचीत होगी। इस सत्र में वरिष्ठ शिक्षाशास्त्री: हृदय कान्त दीवान, वरिष्ठ समाज विज्ञानी निधि गुलाटी और युवा राजनीति विज्ञानी कमल नयन चौबे अपने वक्तव्य रखेंगे। इस सत्र के संवादी युवा  शिक्षाशास्त्री सुरेश साहू करेंगे। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ इतिहासकार हितेंद्र पटेल करेंगे।

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