September 25, 2024

कहां गए NMCH के डॉक्टर संजय? गंगा सेतु पर कैद हुई तस्वीर, पटना की ओर घुमाई थी कार; अबतक सुराग नहीं

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 नालंदा

नालंदा मेडिकल कॉलेज (एनएमसी) के फार्माकॉलोजी विभाग के अध्यक्ष और परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार का सुराग अभी तक नहीं मिला है। लेकिन उनकी तस्वीर कैमरे में कैद हुई है। सात बजकर 44 मिनट पर डॉक्टर गाड़ी से बाहर निकलकर गंगा की तरफ जाते दिख रहे हैं। इससे पहले उन्होंने अपनी गाड़ी एक कट से पटना की ओर घुमायी थी। पटना की तरफ गांधी सेतु के किनारे अपनी कार खड़ी की और फिर वे उसमें से उतर गए। पुलिस के मुताबिक गाड़ी से वे अकेले ही उतरे हैं। कोई व्यक्ति उनका पीछा करते भी नहीं दिखा।

पुलिस की मानें तो डॉक्टर के मोबाइल का अंतिम लोकेशन भी गांधी सेतु का ही मिला था। दरअसल, जिस कैमरे के खराब होने की बात शुरुआती दौर में सामने आयी थी उससे जुड़े मॉनिटर का तार टूटा था। तकनीशियनों ने पुलिस को कैमरे के सही होने की जानकारी दी, जिसके बाद फुटेज जांच टीम के हाथ लग सका। वहीं शनिवार को घंटों एसडीआरएफ टीम ने गंगा में तलाश की। इस दौरान पत्रकारनगर थाने की पुलिस भी मौजूद रही। इसके अलावा पटना पुलिस ने मुजफ्फरपुर, वैशाली, बेगूसराय, मुंगेर, भागलपुर और लखीसराय समेत कई जिलों से पुलिस ने डॉक्टर की तस्वीर साझा की। पुलिस ने उनसे जुड़े 17 लोगों से पूछताछ भी की और तलाश जारी है।

तीन दर्जन से अधिक कैमरे खंगाल चुकी एसआईटी

अब तक तीन दर्जन से अधिक कैमरों को एसआईटी खंगाल चुकी है। पुलिस के मुताबिक डॉक्टर अकेले ही निकले थे। पुल पर भी उनके साथ कोई नहीं था। रविवार को भी एसडीआरएफ की टीम गंगा में सर्च ऑपरेशन चलायेगी।

विवाद के पहलू पर भी जांच कर रही है पुलिस

डॉक्टर संजय का किसी से विवाद था या नहीं, इस पहलू पर भी तफ्तीश की जा रही है। उनके बैंक खातों की जानकारी भी पुलिस ले रही है। पिछले 15 दिनों में डॉक्टर संजय किन लोगों के संपर्क में थे, इसकी जानकारी भी पटना पुलिस ले रही है। उनके कॉल डीटेल रिकॉर्ड की पड़ताल भी की जा रही है।

चिकित्सक की सकुशल बरामदगी होः भासा

बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (भासा) ने डॉ. संजय कुमार के रहस्यमयी तरीके से गायब होने पर चिंता जतायी है। महासचिव डॉ. रणजीत कुमार ने कहा कि पुलिस-प्रशासन एक तथ्य के आधार पर पहले ही किसी निष्कर्ष पर न पहुंच जाए। पहले सही तरीके से जांच-पड़ताल की जानी चाहिए। चिकित्सक की सकुशल बरामदगी की जानी चाहिए। चूंकि वे फार्मेसी संस्थानों का भी निरीक्षण किया करते थे। इसलिए उस पहलू पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

 

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