November 26, 2024

भारत ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ के बेहद करीब पहुंचा , रघुराम राजन क्यों बोले यह डराने वाली बात

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नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने रविवार को कहा कि भारत 'हिंदू वृद्धि दर' के बेहद करीब पहुंच चुका है। उन्होंने निजी क्षेत्र के निवेश में कमी, उच्च ब्याज दरों और वैश्विक वृद्धि की सुस्त पड़ती रफ्तार का जिक्र करते हुए यह बयान दिया। राजन के मुताबिक, राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) ने पिछले महीने राष्ट्रीय आय के जो अनुमान जारी किए हैं, उनसे तिमाही वृद्धि में क्रमिक नरमी के संकेत मिलते हैं जो चिंता की बात है। मालूम हो कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 1950 से लेकर 1980 के दशक तक 4 प्रतिशत के निम्न स्तर पर रही थी जिसे 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' भी कहा जाता है। धीमी वृद्धि के लिए 'हिंदू वृद्धि दर' शब्दावली का इस्तेमाल 1978 में भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण ने किया था।

एनएसओ के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 4.4 फीसदी रह गई, जो दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.3 फीसदी और पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 13.2 फीसदी थी। पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 5.2 फीसदी रही थी। राजन ने कहा, 'आशावादी निश्चित ही पिछले GDP आंकड़ों में किए गए सुधार की बात करेंगे लेकिन मैं क्रमिक नरमी को लेकर चिंतित हूं। निजी क्षेत्र निवेश करने के लिए इच्छुक नहीं है। RBI ब्याज दरें बढ़ाता जा रहा है और वैश्विक वृद्धि के आने वाले समय में और धीमा पड़ने के आसार हैं। ऐसे में मुझे नहीं मालूम कि वृद्धि किस तरह रफ्तार पकड़ेगी।'

राजन बोले- 5% की वृद्धि भी हासिल हो जाए तो…
पूर्व आरबीआई गवर्नर से आगामी वित्त वर्ष (2023-24) में भारत की वृद्धि दर के बारे में सवाल पूछा गया। इसके जवाब में राजन ने कहा, '5 फीसदी की वृद्धि भी हासिल हो जाए तो यह हमारी खुशनसीबी होगी। अक्टूबर-दिसंबर के जीडीपी आंकड़े बताते हैं कि साल की पहली छमाही में वृद्धि कमजोर पड़ेगी।' उन्होंने कहा, 'मेरी आशंकाएं बेवजह नहीं हैं। आरबीआई ने तो चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में और भी कम 4.2 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान जताया है।'

राजन क्यों बोले कि यह डराने वाली बात?
रघुराम राजन ने कहा कि इस समय, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही की औसत वार्षिक वृद्धि 3 साल पहले की तुलना में 3.7 फीसदी है। यह पुरानी हिंदू वृद्धि दर के बहुत करीब है और यह डराने वाली बात है। हमें इससे बेहतर करना होगा। हालांकि, उन्होंने यह माना कि सरकार ढांचागत निवेश के मोर्चे पर काम कर रही है, लेकिन विनिर्माण पर जोर दिए जाने का असर दिखना अभी बाकी है। उन्होंने सर्विस सेक्टर के प्रदर्शन को चमकीला पक्ष बताते हुए कहा कि इसमें सरकार की भूमिका कुछ खास नहीं है।

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