बाग शिल्पी निभा रहे कला को संरक्षित तथा प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका
ऑस्ट्रेलिया के प्रतिनिधि-मण्डल ने बाग का भ्रमण कर कला की प्रक्रिया को जाना-समझा
भोपाल
भारत प्रवास पर आए ऑस्ट्रेलिया के 10 सदस्यीय प्रतिनिधि-मण्डल ने धार जिले के छोटे से कस्बे बाग का भ्रमण कर बाग प्रिंट कला की प्रक्रिया तथा बारीकियों को समझा। प्रतिनिधि-मण्डल को बाग प्रिंट कला के उत्पाद बहुत पसंद आए तथा प्रिंटिंग की प्रक्रिया देख कर अभिभूत हो गये। प्रतिनिधि-मण्डल ने बाग प्रिंट के मास्टर शिल्पकार राष्ट्रीय तथा अंर्तराष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिल्पियों से चर्चा की तथा बाग प्रिंट प्रक्रिया को भी जाना। दल के सदस्यों ने कहा कि छोटे से कस्बे के शिल्पियों ने अपनी पुस्तैनी बाग कला से देश-प्रदेश का नाम रोशन किया है। बाग शिल्पी विरासत में मिली इस कला को संरक्षित तथा प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन भी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बाग प्रिंट के जनक शिल्प गुरू पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार, लाईफ टाईम एचीवमेन्ट और राज्य स्तरीय विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित स्व. श्री इस्माईल खत्री ने इस कला की शुरूआत की थी। आज भी उनकी इस अदभुत कला की विरासत को खत्री परिवार निरंतर सजा-सँवारकर नई ऊँचाइयाँ दे रहा है।
शिल्प गुरू (गोल्ड मेडलिस्ट) राष्ट्रीय हस्तशिल्प,हथकरघा, राज्य स्तरीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित शिल्पकार मोहम्मद युसूफ खत्री ने ऑस्ट्रेलिया के दल के सदस्यों को बाग प्रिंट कला की प्रक्रिया, बारीकियों तथा कला से संबंधित विभिन्न जानकारियों से अवगत कराया। साथ ही उनके पुत्र नेशनल अवार्डी बिलाल खत्री ने भी बाग प्रिंट कला की जानकारी दी तथा ठप्पा छपाई का प्रदर्शन किया। प्रतिनिधि-मण्डल ने कहा की खत्री परिवार के सदस्य दुनिया के सबसे अच्छे शिल्पी होने के साथ ही अच्छे सेल्समैन भी है।
प्रतिनिधि-मण्डल के सदस्यों को बाग प्रिंट के जनक स्व. श्री इस्माईल खत्री के परिवार के सदस्य शिल्पकार सर्वश्री मोहम्मद रफ़ीक खत्री, उमर फारूख खत्री, मोहम्मद काज़ीम खत्री, मोहम्मद आरिफ खत्री, अब्दुल करीम खत्री, गुलाम मोहम्मद खत्री, कासिम खत्री, अहमद खत्री, मोहम्मद अली खत्री ने भी बाग प्रिंट कला से अवगत कराया। बाग के बिलाल खत्री परिवार ने प्रतिनिधि-मण्डल के सदस्यों का स्वागत किया। बाग के ट्राइबल फेस्टिवल में विदेशी मेहमान ख़ूब थिरके और आनंद भी लिया।