November 27, 2024

सऊदी अरब ने तुर्की के लिए खोल दिया खजाना, पाकिस्तान को दिखाया ठेंगा

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दुबई
 
सऊदी अरब ने तुर्की के केंद्रीय बैंक में पांच अरब डॉलर जमा करने का फैसला किया है. सऊदी फंड फॉर डेवलपमेंट ने  एक बयान जारी कर कहा कि वह तुर्की के केंद्रीय बैंक में अरबों डॉलर के नए डिपॉजिट कर रहा है. इस खबर से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है क्योंकि सऊदी उसके केंद्रीय बैंक में पैसे डिपॉजिट करने और उसे आर्थिक मदद देने के लिए जहां कड़ी शर्तें रख रहा है, तुर्की को उसने बिना किसी शर्त पांच अरब डॉलर का डिपॉजिट दिया है.

CNBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बयान में कहा गया, 'यह फैसला दिखाता है कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के तुर्की के प्रयासों में मदद करने के लिए सऊदी अरब कितना प्रतिबद्ध है.'

तुर्की को सऊदी अरब की तरफ से यह बड़ी राहत ऐसे वक्त में मिली है जब अर्थव्यवस्था, महंगाई और फिर विनाशकारी भूकंपों के कारण बेहद बुरी तरह प्रभावित हुई है. तुर्की में 6 फरवरी को भूकंप के जोरदार झटके लगे थे जिसमें 45 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, इस भूकंप में लगभग 12 शहरों के लोग बेघर हो गए और 234 अरब डॉलर का तात्कालिक नुकसान हुआ है. यह देश के वार्षिक आर्थिक उत्पादन का लगभग 4 प्रतिशत है.

एर्दोगन की नीतियों के कारण तुर्की में महंगाई बेतहाशा
तुर्की में महंगाई फिलहाल 55 प्रतिशत से ऊपर है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने बढ़ती महंगाई के बावजूद ब्याज दरों को बढ़ने नहीं दिया है. वो कर्ज के पैसों पर अधिक ब्याज दर लेने को इस्लाम के खिलाफ बताते हैं और इसी कारण तुर्की में ब्याज दर बेहद कम है.

एर्दोगन की आर्थिक नीतियों के कारण महंगाई में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. डॉलर के मुकाबले उसकी मुद्रा लीरा रिकॉर्ड निचले स्तर पर है. तुर्की के 8 करोड़ 50 लाख लोगों में से अधिकतर लोग अब बुनियादी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

मुश्किल वक्त में सऊदी अरब का साथ

तुर्की को इन मुश्किल हालातों में सऊदी अरब का साथ मिला है. यह कदम मुस्लिम दुनिया के दो बड़े देशों के बीच संबंधों में सुधार का संकेत देता है. तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में सऊदी दूतावास में पत्रकार जमाल खाशोज्जी की अक्टूबर 2018 में हत्या के बाद दोनों देशों के संबंध बिगड़ गए थे. दूतावास में सऊदी अधिकारियों ने खाशोज्जी की हत्या कर दी थी जिसके बाद सऊदी को विश्व स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा था.

सऊदी अरब और तुर्की के संबंधों में इस हत्या को लेकर बहुत कड़वाहट आई और दोनों देशों ने एक-दूसरे के सामानों का बहिष्कार किया था. दोनों ने एक-दूसरे के मीडिया आउटलेट्स का भी बहिष्कार किया था.

तुर्की में चुनाव को देखते हुए सऊदी कर रहा मदद

कुछ पर्यवेक्षकों का कहना है कि सऊदी अरब यह मदद तुर्की में 14 मई को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को देखते हुए कर रहा है. ब्लूबे एसेट मैनेजमेंट के रणनीतिकार टिमोथी ऐश का कहना है कि इससे अब स्पष्ट हो गया है कि सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान एर्दोगन को एक बार फिर से राष्ट्रपति बनते देखना चाहते हैं.

ऐश ने कहा, 'यह बात गौर करने लायक है कि सऊदी अरब तुर्की को यह कर्ज बिना किसी शर्त के दे रहा है. दिलचस्प बात है कि यही सऊदी पाकिस्तान, मिस्र, ट्यूनीशिया, बहरीन जैसे संकटग्रस्त देशों को कर्ज देने में IMF प्रोग्राम में शामिल होने की शर्त रख रहा है.'

सऊदी अरब क्षेत्र की बीमार अर्थव्यवस्थाओं को कर्ज देकर बचाता आया है लेकिन अब उसने पाकिस्तान, मिस्र जैसे देशों को बिना शर्त कर्ज देने से मना कर दिया है. सऊदी अरब ने अपने मित्र देश पाकिस्तान से कर्ज के बदले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बेलआउट प्रोग्राम में शामिल होने की शर्त रखी है. हालांकि, तुर्की के लिए सऊदी की तरफ से ऐसी कोई शर्त नहीं रखी गई है.

सऊदी ने कर्ज देने की नीति में किया है बदलाव

जनवरी में स्विटरलैंड के दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में सऊदी अरब के वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जादान में सऊदी की कर्ज नीतियों में बदलाव की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि सऊदी अरब अब किसी भी देश को बिना शर्त कर्ज नहीं देगा.

उन्होंने कहा था, 'हम विकास के लिए देशों को कर्ज देने के अपने तरीके में बदलाव कर रहे हैं. हम बिना किसी शर्त के कर्ज या बैंकों में पैसे जमा करते थे लेकिन अब हम इसे बदल रहे हैं. हम इस सुधार के लिए बहुपक्षीय संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.'

उन्होंने आगे कहा था, 'हम अपने लोगों पर टैक्स लगा रहे हैं, हम दूसरों से भी ऐसा ही करने की उम्मीद कर रहे हैं. हम मदद करना चाहते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि आप भी अपनी भूमिका निभाएं.'

सऊदी अरब की इस घोषणा से पाकिस्तान को करारा झटका लगा था. पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने वाले देशों में सऊदी अरब एक अग्रणी देश रहा है लेकिन अब स्थिति बदल रही है.

 

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