तीन दशक बाद ऑस्ट्रेलिया गया था कोई PM, फिर कैसे मोदी ने बदली पूरी तस्वीर; चीन को टेंशन
नई दिल्ली अहमदाबाद
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज 4 दिनों के भारत दौरे पर आए हैं। होली के मौके पर पहुंचे एंथनी ने गुजरात में जमकर होली खेली और आज वह अहमदाबाद टेस्ट मैच में पीएम नरेंद्र मोदी संग पहुंचे हैं। दोनों की इस दौरान काफी अच्छी बॉन्डिंग दिखी है। यही नहीं ऑस्ट्रेलिया के पीएम एक कारोबारी प्रतिनिधिमंडल को भी साथ लेकर आए हैं, जो भारत में कई अहम बिजनेस डील्स करने वाला है। दोनों देश जापान और अमेरिका के साथ क्वॉड संगठन का भी हिस्सा हैं, जिसे हिंद-प्रशांत महासागर में चीन ने अपने लिए चुनौती मानता रहा है। पिछले कुछ सालों में ऑस्ट्रेलिया भारत के करीब आया है तो वहीं चीन से उसकी दूरी भी बढ़ती रही है।
यही नहीं 2022 में चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाले कारोबार में भी 2021 के मुकाबले 3.9 फीसदी की कमी आई है। यही नहीं ऑस्ट्रेलिया की ओर से चीन को किए जाने वाले निर्यात में तो 13.1 फीसदी तक की कमी आई है। वहीं भारत के साथ तेजी से ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते मजबूत हुए हैं। 21वीं सदी के दूसरे दशक में शायद ही ऐसा कोई दूसरा देश होगा, जिससे भारत के रिश्ते इतनी तेजी से मजबूत हुए हों। इसकी इबारत 2014 से लिखी जानी शुरू हुई थी, जब पीएम नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए थे। यह तीन दशक बाद पहला मौका था, जब भारत के किसी राष्ट्राध्यक्ष ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। उनसे पहले 1986 में राजीव गांधी ऑस्ट्रेलिया गए थे।
कैसे तेजी से करीब आए हैं ऑस्ट्रेलिया और भारत
इस तरह तीन दशक तक भारत के किसी पीएम का ऑस्ट्रेलिया ना जाना बताता है कि कैसे दोनों देश एक-दूसरे थे। हालांकि अब ऑस्ट्रेलिया और भारत कारोबारी मामलों के अलावा रणनीतिक तौर पर भी अहम साथी बन गए हैं। क्रिकेट के मामले में दोनों देशों के लंबे समय से अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन अब राजनीतिक रिश्ते भी मजबूत दिख रहे हैं। इसकी गवाह भी टेस्ट क्रिकेट की बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी बनी है, जिसका नाम ही एलन बॉर्डर और सुनील गावस्कर जैसे दोनों ओर के महान क्रिकेटरों पर रखा गया है। 2012 में ऑस्ट्रेलिया की तत्कालीन पीएम जूलिया गिलार्ड भारत दौरे पर आई थीं। लेकिन अब संबंधों को रफ्तार मिली है।
पिछले साल ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए थे 10 मंत्री
दोनों देशों में लोकतांत्रिक परंपरा रही है, कामकाजी भाषा अंग्रेजी है और दोनों के ही इंडो-पैसिफिक रीजन में रणनीतिक हित भी हैं। एक तरफ चीन इस क्षेत्र में जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के लिए खतरा बना है तो अमेरिका और भारत भी साथ आए हैं और चार देशों का क्वॉड संगठन उसे चुनौती देता दिखता है। अब तो ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच इतनी करीबी है कि बीते साल 10 केंद्रीय मंत्रियों ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बीते साल ही इकनॉमिक कॉपरेशन ऐंड ट्रेड अग्रीमेंट पर साइन हुए हैं।
भारत को ऑस्ट्रेलिया से मोबाइल से सोलर तक में मिलेगी मदद
इसके तहत ऑस्ट्रेलिया बड़े पैमाने पर भारत को लिथियम और कोबाल्ट की आपूर्ति करने वाला है। ऑस्ट्रेलिया में इनका बड़ा भंडार पाया गया है। इन दोनों की सप्लाई से भारत को सोलर एनर्जी समेत कई क्लीन टेक्नोलॉजी को डिवेलप करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वीकल्स के मामले में भी भारत को मदद मिलेगी। यही नहीं इनके जरिए मोबाइल फोन, फ्लैट स्क्रीन मॉनिटर, विंड टर्बाइन भी भारत को बनाने में मदद मिलेगी।