November 28, 2024

ब्रिसबेन में हुआ खालिस्‍तान का ‘जनमत संग्रह’, बिगड़ेंगे भारत से ऑस्‍ट्रेलिया संग रिश्‍ते?

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 ब्रिसबेन

ऑस्‍ट्रेलिया के ब्रिसबेन में रविवार को जो कुछ हुआ है, उसके बाद भारत काफी नाराज है। माना जा रहा है कि ऑस्‍ट्रेलिया के साथ उसके रिश्‍ते बिगड़ सकते हैं। ब्रिसबेन में खालिस्‍तान जनमत संग्रह 2020 को आयोजित किया गया था। बताया जा रहा है कि इसमें खालिस्‍तान समर्थकों ने बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लिया था। वहीं कई लोग इस पूरे प्रकरण में पाकिस्‍तान की भूमिका से भी इनकार नहीं कर रहे हैं। जो बात सबसे दिलचस्‍प है, वह है ऑस्‍ट्रेलिया के पीएम एंथोनी अल्बानीज की भूमिका। पिछले दिनों जब वह भारत के दौरे पर आए थे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह भरोसा दिलाकर गए थे कि इस तरह का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं होने दिया जाएगा। ऐसे में अब भारत सरकार उनसे भी काफी खफा है।

अल्‍बानीज ने तोड़ा अपना वादा
ब्रिसबेन में जो जनमत संग्रह हुआ है उसे सिख्‍स फॉर जस्टिस (SFJ) की तरफ से आयोजित किया किया गया था। संगठन की मानें तो ब्रिसबेन उनके लिए एक युद्ध का मैदान है। इस दौरान खालिस्‍तानियों ने भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज को भी हटा दिया। इसके बाद भी पुलिस चुपचाप देखती रही। जनमत संग्रह ऐसे समय में हुआ है जब ऑस्‍ट्रेलिया में कई हिंदू मंदिरों पर हमले की खबरें आई हैं।

पीएम मोदी की तरफ से पहले ही कहा जा चुका है कि ऑस्‍ट्रेलिया में मंदिरों पर होने वाले हमले निंदनीय हैं। उन्‍होंने मंदिरों पर हमले को दुखद घटना करार दिया था। अल्बानीज जिस समय भारत आए थे उन्‍होंने पीएम मोदी को भरोसा दिलाया था कि भारतीय समुदाय की रक्षा और उनके सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाएंगे। उनकी मानें तो ऑस्‍ट्रेलिया के लिए भारतीय समुदाय की रक्षा हमेशा प्राथमिकता रहेगी। पीएम मोदी ने अपने ऑस्‍ट्र‍ेलियाई समकक्ष के साथ जनमत संग्रह पर दो टूक वार्ता की थी। लेकिन इसके बावजूद अथॉरिटीज इसे रोकने असफल रही हैं।

29 जनवरी को मेलबर्न से शुरुआत

मेलबर्न में भी इस तरह का एक जनमत संग्रह 29 जनवरी को हुआ था। उस दौरान इस जनमत संग्रह का विरोध करने वाले कई लोगों पर खालिस्‍तानी समर्थकों ने हमले किए थे। इन समर्थकों ने धारदार हथियारों से उन्‍हें निशाना बनाया था। विक्‍टोरिया में पुलिस की टीमें उन लोगों की तलाश रही हैं जिन्‍होंने इन हमलों को अंजाम दिया था। लोगों से मदद मांगी जा रही है। साथ ही आरोपियों की फोटोग्राफ्स भी रिलीज कर दी गई हैं। मेलबर्न के फेडरेशन स्‍क्‍वॉयर में जो जनमत संग्रह हुआ था वहां पुलिस भी मौजूद थी। इस दौरान तिरंगे को भी जलाया गया था। दोनों ही घटनाओं में पुलिस ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और भीड़ को हटाया था।

कम लोग हुए शामिल
ब्रिसबेन में जो जनमत संग्रह आयोजित हुआ है उसमें बताया जा रहा है कि काफी कम संख्‍या में लोग शामिल हुए थे। ऑस्‍ट्रेलिया टुडे की एक रिपोर्ट की मानें तो सिर्फ 100 लोग ही इसमें मौजूद थे। विशेषज्ञों की मानें तो लोगों की मौजूदगी यह बताती है कि इस पूरी मुहिम को ज्‍यादा समर्थन नहीं मिल रहा है।

 

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