November 29, 2024

“कमल”धार्मिक चिह्न है BJP का सिंबल, इसे बैन करें’; मुस्लिम लीग की मांग

0

नईदिल्ली

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट से धार्मिक नाम और चुनाव चिह्न वाले राजनीतिक दलों पर बैन लगाने की मांग की है। SC में याचिका दायर करके भाजपा को इस मामले में प्रतिवादी बनाने की मांग की गई है। इसे लेकर बीजेपी के चुनाव चिन्ह कमल के 'रिलीजियस सिंबल' का हवाला दिया गया है। जस्टिस एमआर शाह और सीटी रवि कुमार की बेंच के समक्ष मुस्लिम लीग की ओर से सीनियर वकील दुश्यंत दवे सोमवार को पेश हुए। उन्होंने अदालत के समक्ष इसे लेकर कई दलीलें पेश कीं।

एडवोकेट दवे ने कहा, 'हमने इस मामले में कई पार्टियों को शामिल करने को लेकर एक एप्लिकेशन फाइल किया है। इनमें भारतीय जनता पार्टी भी शामिल है जिसका चुनाव चिन्ह कमल है जो कि एक रिलीजियस सिंबल है।' मुस्लिम लीग की ओर से दायर अप्लिकेशन में कहा गया कि कमल एक धार्मिक प्रतीक है जो हिंदू और बौद्ध धर्म से जुड़ा है। बीजेपी के अलावा शिवसेना, शिरोमणि अकाली दल, हिंदू सेना, हिंदू महासभा, क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक फ्रंट और इस्लाम पार्टी हिंद जैसे 26 अन्य दलों को भी प्रतिवादी बनाने की मांग की गई है।

कमल को लेकर दिए गए ये तर्क
IUML के अप्लिकेशन में कहा गया, 'हिंदू धर्म के अनुसार, प्रत्येक मनुष्य के भीतर पवित्र कमल की भावना है। यह अनंत काल, पवित्रता, देवत्व को दर्शाता है। साथ ही यह सिंबल ऑफ लाइफ, उर्वरता, नवीनीकृत युवाओं के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल होता है। स्त्री की सुंदरता को बताने के लिए भी कमल के फूलों का इस्तेमाल होता है, खास तौर से महिलाओं की आंखों को लेकर। बौद्धों के लिए कमल का फूल मानव की सबसे उन्नत अवस्था का प्रतीक है। इतना ही नहीं… भगवान विष्णु, ब्रह्मा, शिव और लक्ष्मी माता भी हिंदू धर्म में कमल के फूल से जुड़ी हैं।'

याचिका पर उठने लगे सवाल
भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल और सीनियर वकील केके वेणुगोपाल आज AIMIM की ओर से अदालत में पेश हुए। उन्होंने याचिका की वैधता पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा कि इससे याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हो रहा है और इसलिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका अपनी महत्ता खो देती है। साथ ही याचिकाकर्ता ने सभी राजनीतिक दलों को धार्मिक नामों से जोड़ने के पहले के निर्देश का पालन नहीं किया है। इसलिए याचिका को इस आधार पर खारिज किया जा सकता है। वेणुगोपाल ने कहा, 'उन्होंने मुस्लिम नामों से केवल 2 पार्टियों को पक्षकार बनाया है। साथ ही इसी तरह की याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष लंबित है।'

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *