महाविद्यालयों में कर्मकांड, ज्योतिष समेत कई विषयों पर संकट, नए पोर्टल में यह विषय नदारद
भोपाल/इंदौर
महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन से संबद्ध 9 महाविद्यालयों में कर्मकांड, ज्योतिष समेत कई विषयों पर संकट गहरा गया है। ऐसा स्थिति विवि के एक पत्र से निर्मित हो रही है। इससे महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र परेशान हैं। क्योंकि अब नए पोर्टल में ऐसे विषय दिखाई नहीं दे रहे हैं। इससे छात्र परीक्षा फॉर्म नहीं भर पाए। जबकि नई शिक्षा नीति में रोजगारमूलक विषयों को प्रमुखता से रखने के निर्देश दिए गए थे। विभागीय मंत्री मोहन यादव ने भी इन विषयों को लागू रखने के निर्देश दिए थे। फिर भी इनकी अनदेखी हो रही है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लागू की गई व्यवस्था के अंतर्गत विद्यार्थी पिछले साल 2021-22 में अपने मनपसंद विषयों में कर्मकांड, ज्योतिष आदि विषयों का चयन करके परीक्षा उत्तीर्ण होकर अगली कक्षा में प्रवेश ले चुके हैं। वर्तमान सत्र 2022-23 में जुलाई-अगस्त में नए विद्यार्थी भी नियमित एडमिशन लेकर पूरे सत्र की पढ़ाई कर चुके हैं, उनके मूल्यांकन कार्य सम्पन्न हो चुके हैं। उनकी वार्षिक परीक्षा होने वाली है और अब महाविद्यालयों को 18 मार्च 2023 को महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विवि उज्जैन ने पत्र भेजा है कि वे कर्मकांड सहित अन्य विषय-ज्योतिष एवं साहित्य गौण विषय के रूप में नहीं ले सकते।
विद्यार्थियों का कहना है कि विवि नई शिक्षा नीति और शासन द्वारा लागू की गई व्यवस्था का उल्लंघन कर रहा है। हमें उनके द्वारा तय किया गया विषय अब मार्च में पढ़ने को बाध्य किया जा रहा है। जबकि हमने जुलाई-अगस्त में एडमिशन लेते समय पिछले वर्ष की ही तरह मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग तथा विवि के पोर्टल पर उपलब्ध विषयों में से मुख्य विषय के साथ गौण विषय के रूप में कर्मकांड,ज्योतिष तथा साहित्य में से एक विषय का चयन किया था। किन्तु अब परीक्षा आवेदन पत्र भरते समय हमें वह विषय लेने से रोका जा रहा है, जिसकी पढ़ाई हमने नियमानुसार की है, यह हमारे साथ अन्याय है, नियमों के साथ खिलवाड़ है। विवि द्वारा नई शिक्षा नीति का उपहास किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि शासकीय संस्कृत महाविद्यालय इंदौर सहित प्रदेश के समस्त संस्कृत महाविद्यालय पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विवि उज्जैन से संबद्ध है। मप्र नई शिक्षा नीति-2020 को लागू करने वाला देश का पहला राज्य है और नई शिक्षा नीति कहती है कि विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए अनेक विकल्प दिए जाने चाहिए। लेकिन विवि अपनी मनमानी पर अड़कर संस्कृत छात्रों के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी कर्मकांड, ज्योतिष जैसे विषयों को समाप्त करना चाह रहा है।
अफसर अंधेरे में
विश्वविद्यालय के ऐसे फैसलों से भोपाल में बैठे अफसर अनजान हैं। अधिकारियों ने कहा कि इन विषयों को बंद करने का कोई फैसला नहीं हुआ है।
हजारों छात्र-छात्राएं परेशान, लिखे पत्र
संस्कृत महाविद्यालय इंदौर सहित अन्य छात्र-छात्राएं विवि के इस फैसले से परेशान हैं। इन छात्रों ने प्राचार्य के माध्यम से सरकार और विवि को पत्र भी लिखे हैं, जिसके अनुसार विवि कर्मकांड और ज्योतिष जैसे महत्वपूर्ण विषय बंद करवा रहा है। क्योंकि यह पोर्टल पर नहीं खुल रहे हैं। वह छात्र भी परेशान हैं, जो इनका अध्ययन अभी कर रहे हैं।