हेलो… मैं नवादा जेल से जेलर बोल रहा हूं; ऐसे कॉल से रहें सावधान, वजह जानें
पटना
हेलो… मैं नवादा मंडल कारा से जेलर बोल रहा हूं। जेल में बंद आपके परिजन की हालत बहुत सीरियस है। उसे ब्लड की आवश्यक्ता है। जल्दी से रुपये भेजिये। देर होने पर उसकी जान जा सकती है। ये वाकया सोमवार का है। साइबर अपराधियों ने अपराध करने का नया तरीका खोज निकाला और मंडल कारा के दो बंदियों के परिजनों को फोन कर उनसे कुल 42 हजार 220 रुपये ठग लिये। ताजा घटना का शिकार कृषि विभाग का एक कर्मी हुआ। दिलीप कुमार सिरदला के रहने वाले हैं व वर्तमान में उसी प्रखंड में पोस्टेड भी हैं। उनका भाई दिलीप दास मंडल कारा में एक मामले में पिछले 40 दिनों से बंद है। साइबर ठगों ने फोन पर उसके भाई की हालत सीरियस बता कर तीन बार में 35 हजार रुपये ठग लिये।
एक अन्य घटना अकबरपुर थाना क्षेत्र के पिरौटा गांव में घटी। पिरौटा गांव के रामरक्षा सिंह का बेटा मनोज सिंह मारपीट के एक मामले में 29 जनवरी से नवादा जेल में बंद है। फोन करने वाले को इस बात की जानकारी थी और उसने इसका फायदा उठाया। घटना का खुलासा तब हुआ, जब बंदी के भतीजे ने नवादा जेल के सरकारी नंबर पर फोन किया और अपने चाचा की हालत के बारे में पूछा। असिस्टेंट जेलर नंदू चौधरी ने फोन रिसिव किया और कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। आपका बंदी बिल्कुल स्वस्थ है।
जेल में मिलकर की तसल्ली
इसके बावजूद अकबरपुर के बंदी के परिजनों को तसल्ली नहीं हुई। परिजन मंडल कारा पहुंचे और पूरी घटना की जानकारी कारा प्रशासन को दी। उसके आग्रह पर बंदी को परिजनों से मिलवाया गया और तब उसे इस बात का पता चला कि वह साइबर ठगी का शिकार हो गया। हालांकि देर होने के कारण सिरदला के बंदी से मुलाकात संभव नहीं हो सकी। फोन करने वाले ने दोनों को ही बताया कि आपका बंदी जेल में टाइल्स पर गिर गया है और इसके सिर में गंभीर चोट आयी है। उसे स्लाइन चल रहा है और उसे ब्लड की जरूरत है। इस नबंर (8077850120) पर फोन पे पर रुपये भेजिये। उसने नंबर चेक किया तो स्टेटस में पुलिस अधिकारी की ड्रेस में फोटो लगी थी और तब दोनों ने ही रुपये उस नंबर पर ट्रांसफर कर दिये। इसके बाद उसने मोबाइल रिसिव करना बंद कर दिया।
क्या कहते हैं नियम?
इलाज अथवा किसी अन्य कार्य के लिए कारा प्रशासन किसी भी बंदी के परिजन से कोई रुपये-पैसे की मांग नहीं करता है। चोट या किसी प्रकार की तबियत खराब होने की जानकारी मिलने पर कारा के सरकारी नंबर पर बात कर सुनिश्चित कर लें। अनावश्यक रूप से परेशान न हों। अपराधी इसका फायदा उठा सकते हैं। -अजीत कुमार, काराधीक्षक, मंडल कारा