पाक मीडिया की शहबाज शरीफ को सलाह, भारत से रिश्ते सुधारें, तभी होगा बेड़ा पार
नई दिल्ली
आर्थिक बदहाली झेल रहे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में अब यह बात उठने लगी है कि हुक्मरानों के पुराने स्टैंड से यू-टर्न लेते हुए भारत के साथ आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने का समय आ गया है। पाकिस्तानी मीडिया में उठी ये मांग भारतीय उप उच्चायुक्त सुरेश कुमार के उस बयान के बाद आई है, जिसमें लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में बोलते हुए कुमार ने शुक्रवार को सुझाव दिया था कि दशकों पुराने पाकिस्तान-भारत विवाद को हल करने के लिए दोनों देशों को गहरे और स्थायी आर्थिक संबंधों को फिर से बहाल करना चाहिए। पाकिस्तान के मशहूर अखबार 'डॉन' के मुताबिक, कुमार ने कहा, "भारत पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध चाहता है क्योंकि हम अपना भूगोल नहीं बदल सकते।" रिपोर्ट में कहा गया है कि कुमार ने दोनों देशों से व्यापार संबंधों को सामान्य करने का भी आह्वान किया।
इसी आह्वान के आधार पर इसी अखबार के संपादकीय में कहा गया है कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है कि लाहौर चैंबर ने अपने समारोह में एक भारतीय अधिकारी को आमंत्रित किया और नई दिल्ली के प्रतिनिधि ने संबंधों को सुधारने की बात कही। अखबार ने संपादकीय में लिखा है कि यह जहरीली बयानबाजी के दौर को विदा करने का वक्त है जो पिछले कुछ वर्षों में देखा गया था। खासकर 2019 में पाक अधिकृत कश्मीर में हुई घटनाओं के बाद से दोनों देशों के रिश्ते तल्ख हुए और व्यापारिक संबंध भी खत्म कर दिए गए थे। संपादकीय में कहा गया है कि इस समय यह एक असंभावित विकल्प की तरह लग सकता है, लेकिन वर्तमान में उदासीन द्विपक्षीय संबंधों को देखते हुए, अगर व्यापार संबंधों को फिर से बहाल कर दिया जाय तो पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली से उपजे बुरे दिन दूर हो सकते हैं।
अखबार ने यह भी लिखा है कि दोनों देशों के बेहतर व्यापार संबंधों से उपमहाद्वीप में अधिक अनुकूल माहौल बन सकता है। संपादकीय में ये भी कहा गया है कि हमारे पड़ोस में भारत और अन्य राज्यों के साथ व्यापार, वास्तव में व्यापक एशियाई क्षेत्र में एक भू-आर्थिक समझ को बहाल करता है, जो पाकिस्तान के लिए हितकर है। पाक मीडिया में ये भी दावा किया गया है कि पाकिस्तान के प्रमुख पश्चिमी व्यापारिक भागीदारों – अमेरिका और यूरोपीय संघ – की अर्थव्यवस्था धीमी होती दिख रही है; इसलिए, यह जरूरी है कि क्षेत्रीय व्यापारिक भागीदारों के साथ वर्तमान में सुस्त पड़े संबंधों में सुधार कर गरमाहट लाई जाए। संपादकीय में पूर्व आर्मी चीफ जनरल बाजवा के उन प्रयासों का भी जिक्र किया गया है, जिसके तहत वह भारत से अच्छे रिश्ते बनाने के पक्षधर रहे थे और उस दिशा में कई कोशिशें की थीं।