सरकारी मंजूरी मिलते ही भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसेगी जांच एजेंसियों
भोपाल
लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के पास इस वक्त प्रदेश के दर्जनों अधिकारियों और कर्मचारियों की गंभीर शिकायतों की जांच चल रही है। शिकायतों में हत्या से लेकर अवैध वसूली और आय से अधिक मामले हैं। वहीं कई अधिकारियों की जांच पूरी हो चुकी है, जिनमें एजेंसियों को सरकारी मंजूरी का इंतजार है। सरकार की ओर से हरी झंडी मिलते ही इन अधिकारियों पर शिकंजा कसा जाएगा।
राजधानी भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना, इंदौर के जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास, ग्वालियर के जिला शिक्षा अधिकारी विकास जोशी सहित प्रदेशभर के 28 पूर्व और वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी तथा जिला परियोजना समन्वयकों पर रिश्वत मांगने, भ्रष्टाचार,वित्तीय अनियमितताओं , अवैध वसूली, आय से अधिक सम्पत्ति होने, हत्या जैसी शिकायतें लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के पास पहुंची है। इन सभी मामलों में शिकायतों की जांच जारी है।
विधायक हर्ष विजय गेहलोत के सवाल के लिखित जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने यह जानकारी दी है। मंत्री ने बताया कि पिछले दस वर्षो में विभाग में नियम विरुद्ध मान्यता, नियम विरुद्ध अनुकंपा नियुक्ति, रिश्वत मांगे जाने, भ्रष्टाचार किए जाने, फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्ति एवं अनुपातहीनसम्पत्ति जैसी शिकायतें लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू तथा न्यायालय में विचाराधीन है।
मर्डर और घपलेबाजी की शिकायत
नितिन सक्सेना जिला शिक्षा अधिकारी भोपाल, जेएसविल्सन तत्कालीन सहायक संचालक पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, टीकमगढ़ तत्कालीन डीईओ जीएस बरकड़े, मुरैना के तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी सुभाष शर्मा पर हत्या और भ्रष्टाचार की शिकायत, संतोष शर्मा रिटायर्ड डीईओ छतरपुर, मंगलेश व्यास प्रभारी डीईओ इंदौर,पुरुषोत्तम पांडेय, तत्कालीन डीईओ कटनी पर वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं।
वहीं श्योपुर के हरिओम चतुर्वेदी, इंदौर तत्कालीन डीईओ किशोर शिन्दे, रतलाम रामेश्वर चौहान, सीधी पारसनाथ शुक्ला, तत्कालीन प्रभारी संयुक्त संचालक लोक शिक्षण जबलपुर राममोहन तिवारी, अजय कटियार तत्कालीन डीईओ शिवपुरी पर रिश्वत और अवैध वसूली के आरोप हैं।
फर्जी जाति प्रमाणपत्र से नियुक्ति
मंदसौर के तत्कालीन डीईओ आरएल कारपेंटर, उमेश धुर्वे उमरिया, तत्कालीन डीईओ इंदौर एसएस कौशल, विकास जोशी डीईओ ग्वालियर नियम विरुद्ध मान्यता और भ्रष्टाचार के आरोप हैं। वहीं अमरचंद्र वर्मा प्रभारी डीईओ टीकमगढ़ पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र से नियुक्ति, अरुण कुमार इंग्ले होशंगाबाद, आरएन शुक्ल रिटायर्ड प्रभारी संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सागर,अनिल कुमार वैद्य तत्कालीन डीईओ होशंगाबाद पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप हैं।
नियम विरुद्ध खरीदी
केके अग्रवाल तत्कालीन प्रभारी डीईओ आगरमालवा, केएम द्विवेदी तत्कालीन जिला परियोजना समन्वयक सिंगरौली पर केजीव्हीबी बालिका छात्रावास हेतु क्रय सामग्री में अनियमितता की शिकायत है। वहीं आरके लटारे रिटायर्ड डीईओ बालाघाट पर नियम विरुद्ध अनुकंपा नियुक्ति के आरोप हैं।
अभियोजन स्वीकृति के लिए बार-बार भेजे जा रहे रिमाइंडर
इधर पंचायत विभाग में कुछ अफसरों की अभियोजन स्वीकृति के लिए डीजी लोकायुक्त बार-बार रिमाइंडर दे रहे हैं, लेकिन उनकी अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही है। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के सवाल पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने लिखित जवाब में बताया कि अरविंद शर्मा तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत उचेहरा अभी विदिशा जिले के ग्यारसपुर जनपद पंचायत में पदस्थ हैं उनकी अभियोजन स्वीकृति के लिए डीजी लोकायुक्त आठ पत्र लिख चुके हैं।
वहीं हर्ष कुमार खरे तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत निवाड़ी अभी छतरपुर में सहायक परियोजना अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं, उनके लिए डीजी लोकायुक्त दो बार पत्र लिख चुके हैं।
इसी तरह वर्तमान में जनपद पंचायत आठनेर बैतूल में पदस्थ केदार प्रसाद राजौरिया, अलीराजपुर में सहायक परियोजना अधिकारी रविंद्र गुप्ता और सेवानिवृत्त वाय एस चौहान की अभियोजन स्वीकृति के लिए डीजी लोकायुक्त कई पत्र लिख चुके हैं।