September 28, 2024

सीलबंद लिफाफों पर पहली बार नहीं भड़का सुप्रीम कोर्ट, अडानी केस में भी उठ चुके सवाल

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नई दिल्ली

One Rank One Pension (OROP) पर सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय में एक बार फिर सीलबंद लिफाफे का मुद्दा उठा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार की तरफ से पेश इस तरह के लिफाफे पर नाराजगी जाहिर की। हालांकि, यह मुद्दा नया नहीं है। बीते कुछ सालों में सुप्रीम कोर्ट ने मुखर होकर सीलबंद लिफाफों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई है।

पहले सीलबंद लिफाफा समझें
सील्ड कवर या सीलबंद लिफाफे का इस्तेमाल गोपनियता के सिद्धांत के आधार पर किया जाता है। इस तरह से कोर्ट में पेश हुए दस्तावेजों को न तो मामले में शामिल पार्टियों और न ही आम जनता को दिखाया जाता है। इसके तहत कोर्ट गोपनीय जानकारी की रक्षा कर सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं।

क्या है विवाद और कब-कब स्वीकार हुए सीलबंद लिफाफे
भारत के न्यायिक गलियारों में सीलबंद लिफाफों का इस्तेमाल हमेशा बड़ी बहस का मुद्दा रखा है। कुछ आलोचक मानते हैं कि इससे पार्दर्शिता और न्यायिक प्रक्रिया कमजोर होती है। हालांकि, कोर्ट में ऐसे भी कई मौके आए, जब सीलबंद लिफाफों को स्वीकार किया गया। पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले के दौरान कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे स्वीकार किए थे। इसके अलावा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी जांच रिपोर्ट समेत कई मामलों में इस प्रक्रिया का पालन किया गया। कोर्ट ने 2015 के राफेल डील मामले में भी सीलबंद लिफाफे को स्वीकार किया था।

जब सीलबंद लिफाफा पर हुई रार
देश के चर्चित अडानी-हिंडनबर्ग मामले में शीर्ष न्यायालय ने सीलबंद लिफाफे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। इसके जरिए केंद्र ने प्रस्तावित एक्सपर्ट कमेटी के लिए नाम सुझाए थे। 17 फरवरी को सीजेआई ने आदेश सुरक्षित रखते हुए मौखित तौर पर कहा था कि कोर्ट ही एक्सपर्ट्स चुनेगा। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी को रिपोर्ट सील कवर में देने के लिए कहा था। पूर्व सीजेआई एनवी रमणा ने भी कोर्ट में सीलबंद लिफाफों के इस्तेमाल का विरोध किया था। मुजफ्फरपुर शेल्टर केस में उन्होंने कहा था कि रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में नहीं होनी चाहिए। एक अन्य मामले में भी उन्होंने कहा था, 'कोई सीलबंद लिफाफे मत दो, उन्हें अपने पास रखे, मैं कोई सील बंद लिफाफा नहीं चाहता।'
सीजेआई चंद्रचूड़ की ही अगुवाई वाली बेंच ने एक मामले में सीलबंद प्रक्रिया को 'खतरनाक उदाहरण' बताया था।

 

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