मध्यप्रदेश में वल्चर रिजर्वेशन एंड री-इंट्रोडक्शन विषय पर हुआ राष्ट्रीय सम्मेलन
भोपाल
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान एवं बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सहयोग से नरोन्हा प्रशासनिक अकादमी में "मध्यप्रदेश में वल्चर कंजर्वेशन एंड री-इंट्रोडक्शन" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। इसमें बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के साथ वन, पशुधन और औषधि नियंत्रण विभाग एवं संरक्षित क्षेत्रों के क्षेत्र संचालक, वन्य-प्राणी चिकित्सक, गिद्धों के संरक्षण पर कार्य करने वाले राष्ट्र स्तरीय अशासकीय सदस्यों के प्रतिनिधि, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, आर.एस.पी.वी., अरुलागम, भारतीय वन्य-प्राणी संस्थान देहरादून, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक, गिद्ध के संरक्षण में कार्य कर रहे प्रतिष्ठित व्यक्ति दिल शेरखान, डॉ. के.के. झा और बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के जूलॉजी विषय में एमएससी कर रहे छात्र एवं शोधार्थियों सहित 85 व्यक्ति शामिल हुए।
सम्मेलन के दौरान विभिन्न वैज्ञानिकों ने गिद्धों की कम हो रही संख्या के कारण पर प्रकाश डालते हुए प्रमुख रूप से डायक्लोफिनाक दवाओं के प्रयोग को रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही गिद्ध संरक्षण के लिये सभी स्टेकहोल्डर्स को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। अभियान के रूप में सभी शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं को मिल कर कार्य करने पर जोर दिया गया। जे.एस. चौहान, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) ने अपने उदबोधन में मध्यप्रदेश के विभिन्न संरक्षित क्षेत्रों के आसपास वल्चर सेफ जोन की पहचान कर वहाँ जन- जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता जताई।
उन्होंने डाइक्लोफिनाक दवाओं के स्थान पर अल्टरनेटिव ड्रग्स को कम कीमत पर कैसे उपलब्ध कराने के लिये कार्य करने पर जोर दिया। सम्मेलन में "मध्यप्रदेश के गिद्धों के हॉटस्पॉट क्षेत्रों में वल्चर सेफ डिस्ट्रिक्ट की स्थापना करने के लिए भोपाल रेजोल्यूशन" पारित किया गया। सम्मेलन का समापन सभी प्रतिभागियों द्वारा डाइक्लोफिनाक जैसी दवाओं का भविष्य में उपयोग न करने की शपथ लेकर किया किया।