CG विधानसभा में ‘छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक’ पारित
रायपुर
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक और चुनावी मास्टर स्ट्रोक चला है। छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा (Chhattisgarh Legislative Assembly) में बुधवार को 'छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक' को सर्वसम्मति से पारित कराया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने इस विधेयक को 'ऐतिहासिक' करार दिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास जनसंपर्क विभाग भी है। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले अपने चुनावी घोषणा पत्र में राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून लाने का वादा किया था।
विपक्षी भाजपा के विधायकों ने विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति के पास जांच के लिए भेजने की मांग की थी लेकिन विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने इसे खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में कहा कि विधेयक का उद्देश्य छत्तीसगढ़ में काम कर रहे मीडियाकर्मियों के खिलाफ हिंसा को रोकना और मीडियाकर्मियों और मीडिया संस्थानों की संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा कि हिंसक कृत्य से मीडियाकर्मियों या मीडिया संस्थानों की संपत्ति को नुकसान और क्षति होने का खतरा रहता है जिससे राज्य में अशांति पैदा हो सकती है। कई बार कानून लागू करने की मांग की गई और इस संबंध में 2019 में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आफताब आलम की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। यह कानून सभी (संबंधित पक्षों) के परामर्श से तैयार किया गया है। यह दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा और यह एक ऐतिहासिक दिन है।
विपक्ष के नेता नारायण चंदेल और अजय चंद्राकर सहित भाजपा विधायकों ने कहा कि विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित समिति द्वारा की गई सिफारिश को विधानसभा में पेश किया जाना चाहिए था। क्या राज्य सरकार ने एडिटर्स गिल्ड, भारतीय प्रेस परिषद या राज्य में प्रेस क्लबों से इस बारे में परामर्श किया है। वहीं कांग्रेस ने कहा कि भाजपा पत्रकारों के हितों के खिलाफ है। भाजपा विधेयक को रोकने की कोशिश कर रही है। इस पर भाजपा विधायकों ने कहा कि वे कानून को अपना समर्थन देते हैं, लेकिन चर्चा में हिस्सा नहीं लेंगे।
मालूम हो कि विधेयक का विस्तार पूरे छत्तीसगढ़ में होगा। इसमें मीडिया संस्थान में कार्यरत संपादक, लेखक, समाचार संपादक, उपसंपादक, फीचर लेखक, कॉपी एडिटर, संवाददाता, कार्टूनिस्ट, न्यूज फोटोग्राफर, वीडियो पत्रकार, अनुवादक, प्रशिक्षु मीडियाकर्मी, स्वतंत्र पत्रकार जिसे शासन की अधिमान्यता मिली हो मीडियाकर्मी माना गया है। विधेयक के अनुसार छत्तीसगढ़ में निवास कर रहे और पत्रकारिता कर रहे मीडियाकर्मियों का पंजीकरण होगा।
इसके अनुसार, एक व्यक्ति जिसने पिछले तीन महीनों में मीडिया संस्थान में लेखक या सह-लेखक के रूप में छह लेख या समाचार प्रकाशित किए हैं या एक व्यक्ति जिसने पिछले छह महीनों में समाचार संकलन के लिए मीडिया संगठनों से न्यूनतम तीन भुगतान प्राप्त किए हैं, वह पंजीकरण के लिए पात्र होगा। मीडियाकर्मियों की सुरक्षा के लिए गठित एक समिति पंजीकरण प्राधिकरण का कार्य करेगी। अधिसूचना के प्रकाशन के 90 दिनों के भीतर शासन मीडियाकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक समिति का गठन करेगा
यह समिति मीडियाकर्मियों की प्रताड़ना, धमकी या हिंसा या गलत तरीके से अभियोग लगाने और उनको गिरफ्तार करने संबंधी शिकायतों का निराकरण करेगी। यह समिति छत्तीसगढ़ मीडिया स्वतंत्रता संरक्षण एवं संवर्धन समिति के नाम से जानी जाएगी। समिति का कार्यकाल तीन साल का होगा। कोई भी मनोनीत सदस्य इस समिति में निरंतर एक से अधिक अवधि के लिए मनोनित नहीं किया जा सकेगा। इतना ही नहीं यदि किसी मीडियाकर्मी के खिलाफ आरोपों जांच हो रही है तो समिति संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक से 15 दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन सौंपने का निर्देश दे सकती है।