मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भूकंप से हिली धरती, 4.1 मापी गई तीव्रता
ग्वालियर/ अंबिकापुर
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप के झटकों की तीव्रता 4.0 थी. बताया जा रहा है कि भूकंप सुबह 10.31 बजे आया.
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में सुबह करीब 10:30 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। लोग घबराकर अपने- अपने घरों से बाहर निकले गए, डर और भय का माहौल था। बता दें कि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.1 मापी गई है।
वहीं, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी भूकंप आया। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.0 मापी गई है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि ग्वालियर में 28 किमी दक्षिण पूर्व में आज सुबह 10:31 बजे आईएसटी।
जानकारी के अनुसार, उत्तर छत्तीसगढ़ में भूकंप के जोरदार झटके लगे हैं। फिलहाल किसी तरह की जान-माल की हानि नहीं हुई है। इसके पहले भी 14.10.2022 दिन शुक्रवार को ही अंबिकापुर संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में सुबह ही भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे।
आज आए भूकंप का केंद्र भी अंबिकापुर से 65 किमी दूर जमीन से 10 किमी अंदर बताया जा रहा है। नेशनल सेंटर फार सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप की गहराई जमीन से 10 किमी नीचे बताई जा रही है।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र ग्वालियर से 28 किलोमीटर दूर जमीन से 10 किलोमीटर अंदर था. उधर, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर समेत आसपास के इलाकों में सुबह 10:39 भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसका केंद्र सूरजपुर के भटगांव से 11 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है.
इससे पहले मंगलवार रात को भारत के कई राज्यों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.6 थी. भूकंप का असर दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड समेत पूरे उत्तर भारत में था. भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदू कुश क्षेत्र था. इन झटकों के बाद लोग दहशत में आ गए और अपने अपने घरों से बाहर आ गए. हालांकि, गनीमत रही कि अब तक देश से किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर सामने नहीं आई.
क्यों आता है भूकंप?
धरती मुख्यत: चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है. अब ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. यानि धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है. कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं. इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है. कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए ये महसूस भी नहीं होते. जबकि कई बार इतनी ज्यादा तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट तक जाती है.
भूकंप आने पर क्या करें ?
– राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, भूकंप के दौरान जितना संभव हो उतना सुरक्षित रहें. आप यदि घर के अंदर हों तो जमीन पर झुक जाए, किसी मजबूत मेज अथवा फर्नीचर के किसी हिस्से के नीचे भी छिप सकते हैं. भूकंप के झटके रुकने तक इसे मजबूती से पकड़कर बैठे रहें.
– अगर आपके पास कोई मेज या डेस्क न हो तो अपने चेहरे और सिर को अपने बाजुओं से ढक लें और बिल्डिंग के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं. शीशे, खिड़कियों, दरवाजों और दीवारों और ऐसी चीजें, जो गिर सकती हैं, उनसे दूर रहें. जब तक भूकंप के झटके न रुके और बाहर जाना सुरक्षित न हो तब तक अंदर रुके रहें. अभी तक हुईं रिसर्च में पता चला है कि भूकंप के दौरान सबसे ज्यादा चोटें तब लगती हैं, जब घर के अंदर मौजूद लोग दूसरी जगह पर जाने की कोशिश करते हैं.
– किसी दरवाजे से निकलकर बाहर जाएं, जो आपके पास हो. भूकंप के दौरान खुले मैदान में जाना (जहां पेड़, बिजली के खंभे आदि न हों) सबसे सुरक्षित माना जाता है.
– यदि आप घर के बाहर हों तो जहां हों वहीं रहें. लेकिन याद रहे कि आप किसी बिल्डिंग, पेड़, स्ट्रीट लाइट और बिजली या टेलीफोन के तारों के पास न हो. यदि आप किसी खुली जगह पर हों तो वहां तब तक रुके रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं.
– भूकंप के वक्त अगर आप किसी चलते वाहन में हों तो जितनी जल्दी संभव हो सुरक्षा के साथ गाड़ी रोकें तथा गाड़ी में रुके रहें. लेकिन गाड़ी को बिल्डिंग, पेड़, स्ट्रीट लाइट और बिजली या टेलीफोन के तारों के नीचे न रोकें.