हर सोमवार लगता है भक्तों का मेला, शिव मंदिर की सेवा में रहते 18 फिट लंबे नागराज
राजगढ़
राजगढ़। 10वी शताब्दी में राजगढ़ के खोयरी मंदिर पर भगवान शिव की स्थापना करने के साथ ही इस ऐतिहासिक मंदिर की पूजन भील राजाओं के माध्यम से शुरू की गई थी। लेकिन साल 1610 में यहां उमठ परमार वन्स का साम्राज्य आ गया। इसके बाद राजा ने मंदिर की स्थापना की। भगवान शिव मंदिर के ठीक सामने भील राजाओं के माध्यम से मां पार्वती का मंदिर बनाया गया था। जिसमें आज भी भील समाज के लोग भी पूजन करते हैं। कहते हैं मंदिर में जो भी मुराद मांगी जाती है, वह पूरी होती है। खासकर सावन के माह में इस मंदिर का सौंदर्य और सजावट देखते ही बनता है। वन भूमि और चारों तरफ हरियाली ओर खोयरी पहाड़ी के बीच बने इस मंदिर पर पूरे सावन माह में अखंड अभिषेक और हवन का आयोजन किया जाता है। जिसमें शहर के कई लोग शामिल होते हैं।
क्या है नाग देवता का राज
यहां बता दें यहां सालों से करीब 18 से 20 फीट लंबा काला सर्प कभी मंदिर पर तो कभी शिवलिंग या फिर नंदी देवता के आसपास नजर आ जाते है। मंदिर की सेवा के लिए लगे सेवादारों के सोते समय यह उनके ऊपर से भी कई बार गुजर गया है। लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। इतना ही नहीं समिति के अध्यक्ष गोपाल विजयवर्गीय बताते हैं की मंदिर के पास ही एक सफेद नाग नागिन का जोड़ा है जो कभी-कभी लोगों को नजर आता है। 35 साल से लगातार मंदिर में सेवाएं देने के बाद उन्हें सिर्फ 3 बार इस जोड़े के दर्शन हुए हैं।
मंदिर का भव्य निर्माण
मंदिर के सौंदर्य और आसपास की प्राकृतिक खूबसूरती को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां स्व निधि से ?5 करोड़ से यहां धर्मशाला एक सेतु का निर्माण करने के अलावा विभिन्न तरह के निर्माण कार्य चल रहे हैं। पहले इस मंदिर को सिर्फ धार्मिक आस्था के केंद्र से जोड़कर देखा जाता था। लेकिन अब यह पर्यटन के साथ ही पिकनिक स्पॉट में तब्दील हो रहा है।
इनका कहना
यह मंदिर 16 वीं शताब्दी में बनाया गया था। तभी से यह जैसा था वैसा ही बना हुआ है। मंदिर के गर्भ गृह में किसी तरह का बदलाव नहीं किया। लेकिन आसपास कई तरह के निर्माण हो चुके हैं और हो रहे हैं। सावन के पूरे महीने में यहां विभिन्न तरह के आयोजन किए जाएंगे।
गोपाल विजयवर्गीय, अध्यक्ष खोयरी मंदिर समिति
यह ऐतिहासिक मंदिर 600 साल से भी पुराना है आज भी यहां भील राजाओं द्वारा स्थापित शिवलिंग है मान्यता है कि यहां जो भी मुराद मांगी जाती है सब पूरी होती है देखने में आ रहा है कि यहां हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
भानु ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार राजगढ़