November 27, 2024

पहाड, छोटे बड़े जंगल बचाने रद्द हों 10-10 साल के खनन पट्टे

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परिवहन अनुमति की आड़ में बगैर रायल्टी हो रहा खनिज खनन- परिवहन,0अधिकारी मौन

भोपाल
मस्तीपुरा हल्के में पर्यावरण को तहस-नहस किया जा रहा। हल्के में 10-10 साल की खदान अलाट की गई है। अवैध खनन से पहाड़ खत्म करने की बड़ी साज़िश हो रही है। यदि शीघ्र खदानों के पट्टे निरस्त नहीं किए गए तो क्रमिक भूख हड़ताल, कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
उक्त बात मस्तीपुरा निवासी, समाजसेवी जितेंद्र मीणा ने बताया कि मस्तीपुरा, बीनापुर, खजूरी राताताल, अचारपुरा में अवैध खनन किया जा रहा जिसकी शिकायत की गई है, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई है। यदि पहाड़ एवं जंगल खत्म करने वाली खदानों के पट्टे शीघ्र रद्द किए जाना चाहिए।

7 साल से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं खनिज इंस्पेक्टर सृष्टि माथूर

खनिज विभाग भोपाल में इंस्पेक्टर सृष्टि माथूर पिछले 7 साल से अहम भूमिका निभा रही हैं। भोपाल बैरसिया से उन्हें अवैध उत्खनन की सूचना देने के बावजूद कार्रवाई नहीं की जाती। सूत्रों का कहना है कि वैध हो या अवैध खनन सभी को संरक्षण इन महोदया का मिलता है। सूत्र का कहना है कि मैंने कई बार फोन लगाकर सूचना देनी चाही लेकिन मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ। जब उनसे पूछा तो जानकारी मिली कि उनके मोबाइल में नंबर सेव होने पर ही उनसे संपर्क या मैसेज दिया जा सकता है। सूत्र का कहना है कि जो कार्रवाई पहले इंस्पेक्टर प्रभा शर्मा करती थी वैसी कार्रवाई अब नहीं हो रही है।

खनिज इंस्पेक्टर कर चुके थे कई बार निरीक्षण
 मस्तीपुरा हल्के में  खनिज इंस्पेक्टर के साथ खनिज विभाग का दल की बार जांच कर चुका था, लेकिन  खदान के अलावा आसपास की जमीन पर भी बगैर अनुमति खनन कर कोपरा सप्लाई किया जा रहा था जो जमीन की मीनारें भी गायब हो गई थी, लेकिन इंस्पेक्टरों को कोई भनक नहीं लगी सूत्रों का कहना है कि इस मामले में इंस्पेक्टरों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

अवैध कालोनियों में किया जा रहा बगैर रायल्टी कोपरा

राजधानी भोपाल में अवैध कालोनियों का निर्माण लगातार हो रहा है। इन कालोनियों में कालोनी नाईजर कोपरा बोल्डर सहित खनिज सामग्री का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका ठेका खनिज माफिया राजस्व की चोरी कर  मोटा लाभ कमा रहे हैं।

सहायक खनिज अधिकारी एसएस बघेल ने कि थी कार्रवाई
मस्तीपुरा में पुनित जैन की खदान पर की बार खनिज विभाग सहायक खनिज अधिकारी एसएस बघेल ने कार्रवाई की थी और साढ़े पांच लाख का जुर्माना लगाकर कलेक्टर कोर्ट में प्रकरण दर्ज किया गया है।‌

अधिकारी व्यस्त माफिया सक्रिय

जानकारी के अनुसार खनिज विभाग मार्च क्लोजिंग में व्यस्त हैं। कहीं भी निरीक्षण या खदानों से परिवहन होने वाले कोपरा, बोल्डर से भरे वाहनों की चैकिंग नहीं हो रही है। निरीक्षण करने के लिए खनिज विभाग के इंस्पेक्टर  राजधानी की किसी भी सड़क पर निकल जाएं उन्हें कोपरा परिवहन करते डंपर नहीं मिलते, अगर कोई मिल भी जाता है तो (लेनदेन) या किसी प्रभावशाली के दखल से छूट जाता है। खदानों के अलावा अवैध खनन रात अंधेरे में बैखौफ चल रहा है। खनिज माफिया बगैर रायल्टी कोपरा सहित खनिज बगैर रायल्टी परिवहन करने की गारंटी तक ले रहे हैं कि यदि गाड़ी कहीं पकड़ ली गई तो मैनेज कर लेंगे। सूत्र का कहना है कि प्रतिदिन अचारपुरा मस्तीपुरा एवं आसपास से 500 गाड़ी हाइवा, डंपर और दस चका वाहन सारी रात खनिज परिवहन करते रहते हैं।

निरीक्षक करते हैं मीनारें चेक, फिर क्यों होती है सीमा से बाहर खनन

खनिज विभाग द्वारा परिमिशन से पहले राजस्व अधिकारी, खनिज विभाग एवं फारेस्ट विभाग सीमांकन कर खनन परमिशन दी जाती है। फिर भी खनिज माफिया दूसरों की भूमि पर खनन करते हैं। किस उद्देश्य से खनिज विभाग पहाड़ को खत्म करने की साज़िश हो रही है यह बात किसी भी ग्रामीण के समझ में नहीं आ रहा है। ग्रामीण इन खदानों की परमीशन नहीं देने की शिकायत कर चुके हैं।  सूत्रों की माने तो पहाड़ खत्म करने के लिए खनिज विभाग के पास अभी भी कई आवेदन खनिज विभाग के पास है जिनपर अमल हो गया तो निश्चित है कि पहाड़ की जगह खाई या तालाब बन जाए।

निरीक्षण कर देते हैं मीनार लगाने की सलाह
जानकार सूत्रों की माने तो निरीक्षण दल गत दिवस खदानों पर पहुंचे थे जहां खदान पर मीनारें गायब थी। साथ ही सीमांकन भी गायब था लेकिन इंस्पेक्टर द्वारा खदान धारकों को मीनारें लगाने एवं सीमांकन पत्थर रखने के निर्देश दिए और (मुलाकात) कर सरकारी डीजल जलाकर वापस हो लिए।

इनका कहना है
मस्तीपुरा हल्के में पर्यावरण को तहस-नहस किया जा रहा। हल्के में 10-10 साल की खदान अलाट की गई है। अवैध खनन से पहाड़ खत्म करने की बड़ी साज़िश हो रही है। यदि शीघ्र खदानों के पट्टे निरस्त नहीं किए गए तो क्रमिक भूख हड़ताल, कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
जितेंद्र मीणा, रहवासी
ग्राम मस्तीपुरा

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