September 25, 2024

7 लाख से ज्यादा कमाई पर नहीं लगेगा Major Tax, MF और शेयर मार्केट से जुड़े नियम बदलाव

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नई दिल्ली 

टैक्स से जुड़े बड़े बदलाव (Major Tax Changes) हुए हैं। अब आपको सात लाख से ऊपर की मामूली कमाई पर मोटा टैक्स नहीं देना होगा। साथ ही डेट म्यूचुअल फंड (Debt Mutual Funds) में कमाई पर टैक्स से जुड़े नियम भी बदले गए हैं। लोकसभा ने शुक्रवार को 64 आधिकारिक संशोधनों के साथ फाइनैंस बिल, 2023 पास कर दिया है। सरकार ने नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) अपनाने वाले इनकम टैक्स पेयर्स को थोड़ी राहत दी है। साथ ही GST के तहत विवादों के निपटान के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण पीठ की स्थापना हर राज्य में की जाएगी। अब वित्त विधेयक (Finance Bill) को मंजूरी के लिये राज्यसभा में भेजा जाएगा।

 

सात लाख से ऊपर की मामूली कमाई पर नहीं देना होगा भारी टैक्स

सरकार ने नई टैक्स व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले छोटे टैक्सपेयर्स को शुक्रवार को बड़ी राहत दी। फाइनैंस बिल में संशोधन करते हुए यह व्यवस्था दी गई है कि अब सात लाख रुपये की टैक्स मुक्त आय से कुछ अधिक आय अर्जित करने वाले व्यक्तियों को केवल अतिरिक्त आय पर ही टैक्स का भुगतान करना होगा। इसे मार्जिनल लाभ कहा जाता है। इसका मतलब है कि सात लाख से ऊपर जितनी थोड़ी आमदनी बढ़ी है, टैक्स उससे ज्यादा नहीं देना होगा। टैक्स करीबन उतना ही देना होगा। नई टैक्स व्यवस्था 1 अप्रैल से प्रभाव में आएगी।

 

उदाहरण से समझिए

वित्त मंत्रालय ने प्रावधान को समझाते हुए कहा कि नई टैक्स व्यवस्था के तहत यदि किसी टैक्स पेयर की वार्षिक आय सात लाख रुपये है, तो उसे कोई टैक्स अदा नहीं करना होता। लेकिन यदि आय 7,00,100 रुपये है तो इस पर 25,010 रुपये का कर देना पड़ता। 100 रुपये की इस अतिरिक्त आय की वजह से उन्हें 25,010 रुपये का टैक्स पड़े, यह तकर्संगत नहीं है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए टैक्स पेयर को राहत देने का प्रस्ताव किया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि व्यक्ति जो टैक्स भरेगा वह सात लाख रुपये की टैक्स मुक्त आय से ऊपर की आमदनी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
 

टैक्सपेयर को बड़ा फायदा

टैक्स एक्सपर्ट सुशील अग्रवाल का कहना है कि यदि किसी की सात लाख से ऊपर 100 रुपये की आय है तो उसका 25,000 रुपये टैक्स देने का कोई औचित्य नहीं है। वित्त विधेयक में जो प्रावधान किया गया है, उसके अनुसार अगर किसी की आमदनी 7,00,100 रुपये है और वह नई टैक्स व्यवस्था को चुनता है तो एक्स्ट्रा इनकम पर ही टैक्स देना होगा। यह उसके अतिरिक्त आय के करीब बैठेगा। अगर किसी की आमदनी 7 लाख रुपये से 100 रुपये ज्यादा है तो उसको 100 रुपये के करीब टैक्स चुकाना है। हालांकि, टैक्स पेयर सात लाख रुपये से कितनी अधिक आय होने पर इस राहत के लिए पात्र होंगे, इसका उल्लेख सरकार ने नहीं किया है। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही इसका खुलासा होगा। वैसे तकनीकी रूप से व्यक्तिगत करदाता जिनकी आय 7,27,777 रुपये तक होगी उन्हें इस प्रावधान का लाभ मिल सकता है। उन्हें ज्यादा आमदनी पर तय टैक्स स्लैब से टैक्स देना होगा।

 

 

डेट, गोल्ड, इंटरनैशनल म्यूचुअल फंड्स पर टैक्स के नियम भी बदले

फाइनैंस बिल 2023 में किए गए संशोधन के बाद डेट म्यूचुअल फंड्स स्कीम पर मिलने वाला लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) का फायदा अब नहीं मिलेगा। डेट म्यूचु्अल फंड्स पर मिलने वाले गेन को अब शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की बात करें तो यह टोटल इनकम में शामिल होगी और निवेशक जिस टैक्स स्लैब में आता है, उस हिसाब से टैक्स भरना होगा। मतलब, डेट फंड में मिलने वाला इंडेक्सेशन यानी महंगाई को एडजस्टमेंट करने वाला लाभ अब नहीं मिलेगा। लेकिन यह प्रस्ताव उन स्कीमों पर ही लागू होगा, जो अपने कुल फंड के 35 फीसदी से ज्यादा शेयरों में निवेश नहीं करती हैं।
 

डेट म्यूचुअल फंड में नहीं रहा खास फायदा

आनंद राठी वेल्थ के CEO फिरोज अजीज का कहना है कि इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के अनुसार जो 10-15 पर्सेंट की टैक्स स्लैब में आने वालों पर ये नए नियम असर डालेंगे। यह नियम लागू होने पर डेट फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या National Savings Certificate (NSC) जैसे फिक्स्ड इनकम विकल्प और हाइब्रिड फंड, सभी एक जैसे हो जाएंगे। आने वाले समय में डेट फंड की तरफ निवेशकों का आना कम हो सकता है, क्योंकि डेट फंड में जो इंडेक्‍सेशन बेनीफिट मिलता है वह बंद हो जाएगा। इस बदलाव के जरिये सरकार की मंशा फिक्स्ड डिपॉजिट, बॉण्ड, डिबेंचर और डेट म्यूचुअल फंड्स को समान मौका देने की है। गौरतलब है कि डेट म्यूचुअल फंड में निवेश किया ही इसलिए जाता है कि उसमें इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है जो कि फिक्स्ड डिपॉजिट में नहीं मिलता है।
 

मौजूदा निवेशकों पर असर नहीं

आनंद राठी वेल्थ के सीईओ फिरोज अजीज का कहना है कि इसका असर केवल वैसे निवेशकों पर होगा जो 1 अप्रैल, 2023 से या उसके बाद नए सिरे से निवेश करेंगे। 31 मार्च, 2023 तक अगर कोई निवेशक डेट फंड्स में निवेश करता है और तीन साल बाद पैसा निकालेगा तो उसे LTCG टैक्स और इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा। अभी डेट म्यूचुअल फंड स्कीम से जो भी गेन कमाते हैं, उसे तीन साल की अवधि के बाद लॉन्ग टर्म माना जाता है और इंडेक्सेशन बेनीफिट के साथ उस पर 20% का टैक्स लगता है, जबकि बिना इंडेक्सेशन के 10 पर्सेंट टैक्स लगता है। यही वजह है फाइनैंशल अडवाइजर्स निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे डालने से ज्यादा डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश की सलाह देते हैं। बदलाव हुआ तो टैक्स बनीफिट हट जाएंगे, और निवेशकों पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा। म्यूचुअल फंड असोसिएशन AMFI के चेयरमैन ए बालासुब्रमण्यम ने कहा कि बदले नियम का असर डेट फंड्स के अलावा इंडेक्स फंड, गोल्ड फंड, भारत बॉण्ड ईटीएफ और इंटरनैशनल फंड्स पर भी होगा।

 

किस तरह की स्कीम्स पर होगा लागू

जिन डेट म्यूचुअल फंड स्कीमों में 35 पर्सेंट तक भारतीय इक्विटी में निवेश नहीं है, उनसे होने वाली इनकम को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के दायरे में माना जाएगा। ये नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू हो जाएंगे। 35% से कम इक्विटी अलोकेशन वाली हाइब्रिड स्कीम, इंटरनैशनल फंड और गोल्ड फंड भी प्रस्तावित संशोधन के दायरे में आ जाएंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले दिनों में स्कीमों में तेजी से बदलाव होंगे, ताकि LTCG का फायदा मिल सके।
 

फ्यूचर ऐंड ऑप्शंस की बिक्री पर 25 फीसदी बढ़ा STT

बिल 2023 में हुए संशोधन में फ्यूचर ऐंड ऑप्शंस की बिक्री पर STT (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स) लगाने का ऐलान किया गया। लेकिन जैसे ही फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट को बेचने पर STT में 25 फीसदी के इजाफे की बात समाने आई, लोगों में कंफ्यूजन पैदा हो गया। बाद में फाइनैंस सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन ने साफ किया कि कुछ टाइप संबंधी गलती हुई है। फाइनैंस बिल 2023 में हुए संशोधन के मुताबिक, अगर टर्नओवर 1 करोड़ रुपये है तो ऑप्शंस की सेल पर STT अब 2,100 रुपये लगेगा। पहले यह 1,700 रुपये था। इससे भी लोगों में कंफ्यूजन दूर नहीं हुआ, क्योंकि सरकार ने 2016 में ही STT 1,700 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया था। सरकार ने साफ किया कि 1 करोड़ रुपये के टर्नओवर पर STT बढ़ाकर 6,250 कर दिया गया है। चूंकि यह पहले 5,000 रुपये लगता था, तो उस हिसाब से यह बढ़ोतरी 25 पर्सेंट है। इसका मतलब फ्यूचर में ट्रेड करने वाले ट्रेडर्स को एक करोड़ रुपये के टर्नओवर पर अब से अतिरिक्त 1,250 रुपये का STT देना होगा। सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स बढ़ाए जाने पर जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ ने इंट्राडे में रिटेल निवेशक निफ्टी फ्यूचर को बेचता या खरीदता है तो उसे हर निफ्टी लॉट के लिए 855 रुपये या 1.7 प्वाइंट STT देना होगा। और अगर वो 10 गुना ज्यादा निफ्टी लॉट में ट्रेड करता है तो 17 प्वाइंट ज्यादा STT देना होगा।

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