November 26, 2024

मातृ शिक्षा दर में वृद्धि से पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु के मामलों में कमी:अध्ययन

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नई दिल्ली
 भारत में मातृ शिक्षा दर में वृद्धि और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु के मामलों में कमी के बीच संबंध पाया गया है। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया।

पत्रिका ‘हेल्थ एंड प्लेस’ में प्रकाशित अध्ययन में भारत में ग्रामीण-शहरी संदर्भ में मातृ शिक्षा और बच्चों के स्वास्थ्य के बीच संबंधों का पता लगाने की कोशिश की गई।

ऑस्ट्रिया के ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम्स एनालिसिस’ (आईआईएएसए) के समीर के.सी. ने कहा, ‘‘विकासशील देशों में भविष्य की जनसंख्या की गतिशीलता को समझने के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि शिक्षा पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को कैसे प्रभावित करती है।’’

अध्ययन में 1992 से 1993 और 2019 से 2021 के बीच आयोजित भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस एक से पांच) का पांच दौर का विश्लेषण किया गया।

अध्ययन के अनुसार, पांच वर्ष से कम आयु की मृत्यु दर की गणना एक प्रश्नावली से मिले आंकड़ों का इस्तेमाल करके की गई, जिसमें महिलाओं के गर्भधारण से जुड़ी जानकारी थी खासकर बच्चे के जन्म की तारीख तथा हर बच्चे के जीवन से जुड़ी जानकारी और अगर किसी बच्चे की मौत हो गई तो उसकी उम्र आदि का विवरण था।

प्रश्नावली में उम्र, शिक्षा, धर्म, जाति और प्रजनन संबंधी जानकारी भी प्रदान की गई।

शोधकर्ताओं ने कहा कि मातृ शिक्षा में वृद्धि से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के मामलों में कमी नजर आई।

अध्ययन के सह-लेखक मोरध्वज ने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में, जिन महिलाओं ने कम या प्राथमिक स्तर की शिक्षा हासिल की है उनके पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं है। हालांकि हम सभी को पता है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मातृ शिक्षा का मृत्यु दर पर प्रभाव अलग-अलग रहता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पाया कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाली माध्यमिक शिक्षा हासिल करने वाली महिलाओं के बच्चों और समान रूप से शिक्षित ग्रामीण महिलाओं के बच्चों की मृत्यु दर में अंतर था। शहरी महिलाओं के इस उम्र के बच्चों में मृत्यु दर कम थी। हालांकि, हमने हाल के सर्वेक्षणों में ऐसा नहीं देखा।’’

शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि कुल मिलाकर, मातृ शिक्षा खासकर माध्यमिक शिक्षा, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को रोकने के लिए एक सुरक्षात्मक कारक है।

के. सी. ने कहा, ‘‘वर्तमान नीतियां सही प्रतीत होती हैं, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लड़कियों के लिए माध्यमिक शिक्षा पर खास ध्यान देने के साथ शैक्षिक अवसरों को बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में हम पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में आई कमी को आगे भी कायम रख पाएं।’’

 

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