वायनाड में ही नहीं मिल रहा राहुल गांधी को समर्थन, खाली कुर्सियों पर कांग्रेस का सत्याग्रह
वायनाड
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने पर दिल्ली में शोर है, लेकिन उनके अपने ही गढ़ वायनाड में हालात विपरीत नजर आ रहे हैं। खबर है कि क्षेत्र में राहुल के खिलाफ हुई कार्रवाई का खास सियासी असर नहीं हो रहा है। शुक्रवार को सूरत की एक कोर्ट ने राहुल को आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराया था। साथ ही उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी।
वायनाड क्षेत्र में ही आने वाले कलपेट्टा में रविवार की स्थिति को समझते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यहां महात्मा गांधी की तस्वीर के पीछे कांग्रेस के करीब 50 नेता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पास ही मौजूद बस स्टैंड के पास यात्रियों और आम जनता का आना जाना था, लेकिन किसी को एक के बाद एक भाषण दे रहे कांग्रेस नेताओं की बात सुनने में दिलचस्पी नहीं रही।
खबर है कि शाम 4 बजे तक सत्याग्रह समाप्त होने की कगार पर था और मौके पर खाली कुर्सियां ही नजर आ रही थीं। खास बात है कि राहुल के खिलाफ कार्रवाई को तीन दिन का समय बीत गया है, लेकिन वायनाड में अब तक सियासी उबाल नहीं है। वायनाड में कुछ विरोध प्रदर्शनों को छोड़ दिया जाए, तो यहां कांग्रेस भीड़ जुटाने में सफल नहीं हो पाई है।
खास बात है कि कांग्रेस की यह तस्वीर ऐसे समय पर सामने आई है, जब लोकसभा चुनाव 2024 में एक ही साल बचा है। रिपोर्ट के अनुसार, वायनाड जिला कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व विधायक एनडी अप्पाचन कहते हैं कि वह विरोध प्रदर्शन में अहिंसा का रास्ता अपना रहे हैं।
हालांकि, कलपेट्टा की सड़कों पर शुक्रवार को ही हिंसा देखने को मिली। उस दौरान केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य पी अली और यूथ कांग्रेस के जिला सचिव सलि रत्ताकोली और उनके समर्थक भिड़ गए। कहा जा रहा है कि इस झगड़े ने ही वायनाड में कांग्रेस को बांट दिया है, जिससे कई नेता बाद में हुए प्रदर्शनों से दूर रहे।
ऑटो रिक्शॉ चालक सुरेश कहते हैं, 'लोग यहां राहुल गांधी के अयोग्य होने के लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं। उन्हें लगता है कि अपील अदालतों से राहुल के पक्ष में फैसला आएगा। शायद कांग्रेस के कुछ नेता विरोध कर रहे हैं। जमीन पर लोगों को दिलचस्पी नहीं है। यहां मुख्य रूप से आर्थिक संकट के चलते बंद दुकानों को देखिए। लोगों को पास पैसा नहीं है। संकट इतना है कि हमारी चिंता केवल हमारी आजीविका है।'
वहीं, कुछ का मानना है कि राहुल को पिछड़े समुदाय का अपमान नहीं करना चाहिए था। जबकि, कुछ स्थानीय लोग कहते हैं कि लोगों को भावनाएं राहुल के पक्ष में हैं।
बंगला खाली करने के आदेश
लोकसभा सचिवालय की तरफ से राहुल को सरकारी बंगला खाली करने के आदेश दिए गए हैं। उन्हें एक महीने का समय मिला है। हालांकि, यह कहा जा रहा है कि वह और समय की मांग कर सकते हैं। साल 2019 में कर्नाटक में एक रैली के दौरान कांग्रेस नेता ने 'मोदी सरनेम' को लेकर टिप्पणी कर दी थी।